Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Feb, 2024 01:18 PM
कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में हालिया मजबूती आने से सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों को डीजल पर प्रति लीटर लगभग तीन रुपए का घाटा हो रहा है जबकि पेट्रोल पर उनके मुनाफे में कमी आई है। तेल उद्योग के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
गोवाः कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में हालिया मजबूती आने से सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों को डीजल पर प्रति लीटर लगभग तीन रुपए का घाटा हो रहा है जबकि पेट्रोल पर उनके मुनाफे में कमी आई है। तेल उद्योग के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने कहा कि पेट्रोल पर मुनाफे में कमी आने और डीजल पर घाटा होने से पेट्रोलियम विपणन कंपनियां खुदरा कीमतों में कटौती करने से परहेज कर रही हैं। अप्रैल, 2022 से ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बदलाव नहीं हुआ है।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) का देश के करीब 90 प्रतिशत ईंधन बाजार पर नियंत्रण है। इन कंपनियों ने कच्चे तेल में घट-बढ़ के बावजूद लंबे समय से पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस (एलपीजी) की कीमतों में 'स्वेच्छा से' कोई बदलाव नहीं किया है। भारत अपनी तेल जरूरतों को पूरा करने के लिए 85 प्रतिशत आयात पर निर्भर है। पिछले साल के अंत में कच्चा तेल नरम हो गया था लेकिन जनवरी के दूसरे पखवाड़े में यह फिर से चढ़ गया।
तेल उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, ''डीजल पर घाटा हो रहा है। हालांकि यह सकारात्मक हो गया था लेकिन अब तेल कंपनियों को लगभग तीन रुपए प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है। इसी के साथ पेट्रोल पर मुनाफा मार्जिन भी कम होकर लगभग तीन-चार रुपए प्रति लीटर हो गया है।" पेट्रोलियम कीमतों में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 'भारतीय ऊर्जा सप्ताह' के दौरान संवाददाताओं से कहा कि सरकार कीमतें तय नहीं करती है और तेल कंपनियां सभी आर्थिक पहलुओं पर विचार करके अपना निर्णय लेती हैं। इसके साथ ही पुरी ने कहा, ''तेल कंपनियां कह रही हैं कि अभी भी बाजार में अस्थिरता है।''