Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Apr, 2024 02:05 PM
सोमवार (29 अप्रैल) को शेयर बाजार में तेजी के बावजूद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के स्टॉक में भारी गिरावट देखने को मिली। इंट्रा-डे में बीएसई के शेयरों में 17.6 फीसदी गिरे। 2017 में लिस्टिंग के बाद से बीएसई के शेयरों में यह अब तक की ये सबसे बड़ी...
नई दिल्लीः सोमवार (29 अप्रैल) को शेयर बाजार में तेजी के बावजूद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के स्टॉक में भारी गिरावट देखने को मिली। इंट्रा-डे में बीएसई के शेयरों में 17.6 फीसदी गिरे। 2017 में लिस्टिंग के बाद से बीएसई के शेयरों में यह अब तक की ये सबसे बड़ी गिरावट है।
क्यों लुढ़के शेयर?
BSE के शेयरों में बिकवाली बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के आदेश के बाद देखने को मिला। सेबी ने मुंबई स्थित स्टॉक एक्सचेंज को एक महीने के भीतर बकाया और ब्याज लागत सहित ऑप्शंस टर्नओवर पर रेगुलेटरी फीस का भुगतान करने का निर्देश दिया है। इसका असर आज बीएसई के शेयरों पर देखने को मिल रहा है।
BSE ने रविवार को एक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि FY 2006-2023 के लिए SEBI की कुल रेगुलेटरी फीस 68.64 करोड़ रुपए + GST अलग से होगी, इसमें 30.34 करोड़ रुपए का ब्याज शामिल है। इसके अलावा, FY 2023-24 के लिए डिफरेंशियल रेगुलेटरी फीस अगर कोई है, तो करीब 96.30 करोड़ रुपए + GST हो सकता है। पिछले कई सालों से, बीएसई विकल्पों के प्रीमियम टर्नओवर को ध्यान में रखते हुए वार्षिक टर्नओवर के आधार पर नियामक शुल्क का भुगतान कर रहा था।
कितना करना होगा बीएसई को भुगतान?
बीएसई को डिफरेंशियल फीस के तौर पर करीब 165 करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा जिसमें से 69 करोड़ रुपए फाइनेंशियल ईयर 2007-2023 तक के और 96 करोड़ रुपए फाइनेंशियल ईयर 2024 के हैं। बता दें कि BSE को फाइनेंशियल ईयर खत्म होने के 30 दिन के अंदर रेगुलेटरी फीस भुगतान करना होगा।