Edited By jyoti choudhary,Updated: 31 May, 2023 05:56 PM
जीडीपी के चौथी तिमाही के आंकड़े आ गए हैं। फाइनेंशियल ईयर 2022-23 की जनवरी से मार्च तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.1 फीसदी रही। इससे पहले दिसंबर तिमाही में ये आंकड़ा 4.4 फीसदी रहा था जबकि सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.3 फीसदी दर्ज की गई
नई दिल्ली: जीडीपी के चौथी तिमाही के आंकड़े आ गए हैं। फाइनेंशियल ईयर 2022-23 की जनवरी से मार्च तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.1 फीसदी रही। इससे पहले दिसंबर तिमाही में ये आंकड़ा 4.4 फीसदी रहा था जबकि सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.3 फीसदी दर्ज की गई थी। साल 2022-23 में जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदी रही। जानकारों ने जनवरी-मार्च 2023 तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.9 से 5.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया था लेकिन यह अनुमानों से कहीं बेहतर रही।
उम्मीद की जा रही थी कि एग्रीकल्चर सेक्टर में मजबूती और डोमेस्टिक डिमांड बढ़ने से भारतीय अर्थव्यवस्था को सपोर्ट मिल सकता है। पश्चिमी देशों में मंदी की आशंका के बीच भारत ग्लोबल इकॉनमी के लिए ब्राइस स्पॉट बनकर उभरा है। यूरोप की सबसे बड़ी इकॉनमी वाला देश जर्मनी मंदी में फंस चुका है जबकि अमेरिका पर पहली बार डिफॉल्ट होने का खतरा मंडरा रहा है। वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ (IMF) जैसी संस्थाओं का कहना है कि भारत में मंदी आने की संभावना न के बराबर है। जीडीपी के आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं।
जीडीपी के आंकड़े राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) जारी करता है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 2022-23 के 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। आरबीआई के गर्वनर शक्तिकांत दास ने हाल में कहा था कि अगर भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट सात प्रतिशत से अधिक रहती है तो उन्हें हैरानी नहीं होगी। किसी भी देश के लिए जीडीपी के आंकड़े अहम होते हैं क्योंकि वे देश की इकॉनमी की सेहत बयां करते हैं। इनसे पता चलता है कि इकॉनमी कैसा प्रदर्शन कर रही है और आर्थिक गतिविधियां कैसी हैं। इन्हीं आंकड़ों के आधार पर नीतियां बनाई जाती हैं।