Google और TCS का 22 अरब डॉलर का मेगा निवेश, भारत बनेगा AI डेटा सेंटर हब

Edited By Updated: 17 Oct, 2025 10:39 AM

google and tcs to invest 22 billion in mega investments

भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत हो गई है। गूगल (Google) और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने कुछ ही दिनों के अंतराल में बड़े पैमाने पर डाटा सेंटर प्रोजेक्ट्स की घोषणा की है, जिससे देश...

बिजनेस डेस्कः भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत हो गई है। गूगल (Google) और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने कुछ ही दिनों के अंतराल में बड़े पैमाने पर डाटा सेंटर प्रोजेक्ट्स की घोषणा की है, जिससे देश की डिजिटल रीढ़ और एआई इकोसिस्टम को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।

गूगल का विशाखापत्तनम हब

पिछले सप्ताह टीसीएस ने 7 अरब डॉलर (करीब ₹58,000 करोड़) के निवेश के साथ एक नई सहायक कंपनी के तहत एआई और 'सॉवरेन डाटा इंफ्रास्ट्रक्चर' पर केंद्रित डाटा सेंटर नेटवर्क विकसित करने की घोषणा की। वहीं, इस हफ्ते गूगल ने 15 अरब डॉलर (करीब ₹1.25 लाख करोड़) के निवेश के साथ आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में अमेरिका के बाहर अपना सबसे बड़ा एआई हब स्थापित करने की योजना पेश की है।

बड़े समूहों के बीच प्रतिस्पर्धा और तेज

इन दोनों दिग्गजों की एंट्री के साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज, अडानीकनेक्‍स और भारती एयरटेल जैसे बड़े समूहों के बीच प्रतिस्पर्धा और तेज हो गई है। गूगल के प्रोजेक्ट में एयरटेल भी साझेदार है। साथ ही, सिफी, योट्टा इन्फ्रास्ट्रक्चर, एसटीटी टेलीमीडिया, CtrlS, कैपिटलैंड और ईएसडीएस सॉफ्टवेयर जैसी कंपनियां भी भारत के प्रमुख शहरों मुंबई, चेन्नई, पुणे और हैदराबाद में अपनी डाटा सेंटर क्षमता तेजी से बढ़ा रही हैं।

निवेश बढ़ाएगा देश की डिजिटल क्षमता

विश्लेषकों के अनुसार, यह विस्तार भारत के डेटा सेंटर उद्योग में अब तक का सबसे बड़ा निवेश चक्र साबित हो सकता है। उदाहरण के लिए, CtrlS हैदराबाद में 500 मेगावॉट क्षमता वाला एआई केंद्रित कैंपस बना रही है, जो एशिया में सबसे बड़े प्रोजेक्ट्स में से एक होगा। टीसीएस और गूगल के नए प्रोजेक्ट्स की संयुक्त क्षमता देश की मौजूदा कुल इंस्टॉल्ड क्षमता के बराबर मानी जा रही है, जिन्हें अगले 5 से 7 वर्षों में पूरा किया जाएगा।

पहले रियल एस्टेट कंसल्टेंट कोलियर्स ने अनुमान लगाया था कि भारत की कुल डेटा सेंटर क्षमता 2030 तक तीन गुना बढ़कर 4.5 गीगावॉट तक पहुंच जाएगी और इसके लिए 20-25 अरब डॉलर का निवेश आवश्यक होगा लेकिन गूगल और टीसीएस के नए निवेश से अब यह अनुमान और ऊपर जाने की संभावना है।

इस वृद्धि का मुख्य कारण एआई, क्लाउड कंप्यूटिंग और 5जी जैसी डेटा-इंटेंसिव टेक्नोलॉजी की बढ़ती मांग के साथ-साथ सरकार की डेटा लोकलाइजेशन को प्रोत्साहित करने वाली नीतियां हैं।

टीसीएस की नई सहायक कंपनी हाइपरस्केलर्स, एंटरप्राइजेज और सरकारी ग्राहकों के लिए उच्च-प्रदर्शन और सुरक्षित इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करेगी, जो पूरे एआई स्टैक — कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर अगली पीढ़ी के एप्लिकेशन तक — सेवाएं उपलब्ध कराएगी। वहीं, गूगल का विशाखापत्तनम एआई हब उन्नत कंप्यूट सिस्टम, नई ट्रांसमिशन लाइन्स और सस्टेनेबल एनर्जी सॉल्यूशंस से लैस होगा।

DPDP अधिनियम से बढ़ेगा निवेशकों का भरोसा

सरकार के डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) अधिनियम के मसौदे के तहत डेटा प्रोसेसिंग के लिए संतुलित दृष्टिकोण अपनाने से निवेशकों का भरोसा भी बढ़ा है। विश्लेषकों का कहना है कि यह नीति घरेलू डेटा स्टोरेज को बढ़ावा देगी और देश में सुरक्षित व रेगुलेशन-रेडी डाटा सेंटरों की मांग को नई ऊंचाई पर पहुंचाएगी।

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