Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 Nov, 2025 03:40 PM

दुनियाभर में तेजी से लोकप्रिय हो रही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक अब विवादों में घिर गई है। जहां एक ओर कंपनियां एआई के जरिए उत्पादकता और दक्षता बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर गूगल पर अपने एआई असिस्टेंट “जेमिनी” (Gemini) के जरिए...
बिजनेस डेस्कः दुनियाभर में तेजी से लोकप्रिय हो रही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक अब विवादों में घिर गई है। जहां एक ओर कंपनियां एआई के जरिए उत्पादकता और दक्षता बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर गूगल पर अपने एआई असिस्टेंट “जेमिनी” (Gemini) के जरिए यूजर्स की निजी जानकारी ट्रैक करने का गंभीर आरोप लगा है।
क्या है पूरा मामला?
कैलिफोर्निया के सैन जोस फेडरल कोर्ट में दायर एक याचिका में दावा किया गया है कि गूगल ने अपने एआई असिस्टेंट जेमिनी के माध्यम से यूजर्स के निजी कम्युनिकेशन डेटा जैसे Gmail, चैट और Google Meet को गुप्त रूप से ट्रैक किया।
याचिका के अनुसार, पहले इन प्लेटफॉर्म्स पर यूजर्स को एआई प्रोग्राम को “टर्न ऑन” करने का विकल्प दिया जाता था लेकिन अक्टूबर 2025 में Alphabet Inc. ने बिना किसी पूर्व सूचना के इन सेवाओं में जेमिनी को डिफॉल्ट रूप से सक्रिय (ऑन) कर दिया। इस प्रक्रिया के दौरान यूजर्स की अनुमति लिए बिना उनके ईमेल, अटैचमेंट्स और चैट हिस्ट्री तक पहुंच बनाई गई।
यूजर्स की प्राइवेसी पर खतरा
याचिका में यह भी कहा गया है कि गूगल ने जेमिनी को “टर्न ऑफ” करने का विकल्प तो दिया है लेकिन वह प्राइवेसी सेटिंग्स में गहराई से छिपा हुआ है, जिससे आम यूजर तक पहुंचना कठिन है। जब तक यूजर इस फीचर को मैन्युअली डिसेबल नहीं करता, तब तक गूगल को उसके निजी डेटा तक एक्सेस बना रहता है।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि गूगल ने “California Invasion of Privacy Act, 1967” का उल्लंघन किया है यह कानून बिना सभी पक्षों की सहमति के किसी निजी संवाद को रिकॉर्ड या एक्सेस करने पर रोक लगाता है।
क्या है गूगल जेमिनी?
जेमिनी, गूगल का एडवांस्ड एआई असिस्टेंट है जो ईमेल लेखन, मीटिंग समरी, चैटिंग और डेटा एनालिसिस जैसे कामों में मदद करता है। कंपनी का दावा है कि यह यूजर्स की सुविधा के लिए विकसित किया गया है लेकिन अब उस पर प्राइवेसी उल्लंघन के आरोप लग चुके हैं।
कोर्ट ने इस मामले में गूगल को नोटिस जारी किया है और स्पष्टीकरण मांगा है। अगर आरोप साबित होते हैं, तो यह मामला न सिर्फ गूगल की साख के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है, बल्कि एआई डेटा प्राइवेसी पर वैश्विक स्तर पर नई बहस को भी जन्म दे सकता है।