बड़ी गाडिय़ां, खरीदनी हैं तो जल्दी करें, बढऩे वाले हैं दाम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Aug, 2017 05:58 PM

government may increase cess on luxury cars

एसयूवी, मध्यम आकार की व बड़ी एवं लक्जरी कारें अब और महंगी हो जाएंगी क्योंकि जीएसटी परिषद ने इन पर उपकर की दर को मौजूदा 15 फीसदी से बढ़ाकर 25% करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

नई दिल्ली: एसयूवी, मध्यम आकार की व बड़ी एवं लक्जरी कारें अब और महंगी हो जाएंगी क्योंकि जीएसटी परिषद ने इन पर उपकर (सेस) की दर को मौजूदा 15 फीसदी से बढ़ाकर 25% करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उल्लेखनीय है कि माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के लागू होने के बाद इनकी कीमतें कम हो गईं थी। जीएसटी के तहत कारों को उच्चतम दर 28% कर की श्रेणी में रखा गया है। इस वर्ग में वस्तुओं वे सेवाओं पर 1-15% तक का सेस भी लगाया गया है ताकि उससे प्राप्त आय के जरिए जीएसटी में राज्यों को राजस्व में होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके। अब एसयूवी और बड़ी कारों पर सेस की दर बढ़ा दी गई है। 
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बढ़ा हुआ सेस अभी नहीं होगा प्रभावी
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि जीएसटी के बाद कारों पर कुल कर (जीएसटी और सेस मिलाकर) जीएसटी से पहले वाली व्यवस्था के मुकाबले शुल्क कम हो गया था।  बयान में कहा गया है, ‘‘जीएसटी परिषद ने 5 अगस्त को हुई अपनी 20वीं बैठक में इस मसले विचार किया और केंद्र सरकार से सिफारिश की कि वह 8702 और 8703 शीर्षक के तहत आने वाले मोटर वाहनों पर अधिकतम सेस मौजूदा 15% से बढ़ाकर 25% करने के लिए विधायी संशोधन करने का प्रस्ताव रख सकती है।’’ बढ़ा हुआ सेस कब से प्रभावी होगा, इसका फैसला जीएसटी परिषद बाद में करेगी।  
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जानिए, कौन सी गाडिय़ा आती हैं लक्जरी कारें की क्लास में?
सेस में बढ़ोतरी के लिए जीएसटी (राज्यों को राजस्व नुकसान पर मुआवजा) अधिनियम-2017 के धारा-8 में संशोधन की जरूरत होगी।  8702 और 8703 शीर्षकों के तहत आने वाले मोटर वाहनों में मध्यम श्रेणी, बड़ी कार, एसयूवी और 10 से ज्यादा लेकिन 13 से कम लोगों के बैठाने की क्षमता वाले वाहन और 1500 सीसी से अधिक क्षमता के इंजन वाले हाइब्रिड वाहन तथा 1500 सीसी से कम इंजन के मध्यम दर्जे की हाइब्रिड कारें आती हैं।  जीएसटी फिटमेंट समिति ने अपनी 25 जुलाई की बैठक में पाया कि इन कारों पर कुल कर जीएसटी से पहले की व्यवस्था की तुलना में कम हो गया है। इस समिति पर ही कर की दरों का आकलन करने की जिम्मेदारी है। जीएसटी से पहले इन कारों पर 52 से 54.72% कर लगता था जिसमें से 2.5% केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) शमिल था। जीएसटी जीएसटी के बाद इन पर कुल कर भार 43% रह गया था।  

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