Edited By Supreet Kaur,Updated: 09 Oct, 2018 12:19 PM
करीब 4,000 ऐसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को आयकर विभाग की जांच का सामना करना पड़ रहा है जिनके लाइसेंस भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा रद्द कर दिए गए हैं। आयकर विभाग के अधिकारियों के अनुसार विभाग इन एनबीएफसी की बैलेंस शीट में शामिल...
नई दिल्लीः करीब 4,000 ऐसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को आयकर विभाग की जांच का सामना करना पड़ रहा है जिनके लाइसेंस भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा रद्द कर दिए गए हैं। आयकर विभाग के अधिकारियों के अनुसार विभाग इन एनबीएफसी की बैलेंस शीट में शामिल परिसंपत्तियों के स्रोत का पता लगाने और यह जानने की कोशिश कर रहा है क क्या ये ज्ञात स्रोत के जरिए प्राप्त हुई हैं या नहीं।
कर अधिकारी यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या इन कंपनियों द्वारा मंजूर किए गए ऋणों का इस्तेमाल उनके कर्जदारों द्वारा वास्तविक व्यवसाय के उद्देश्य के लिए किया गया था। आरबीआई ने पिछले महीने कर विभाग के साथ शहर-वार आंकड़ा जारी किया था। आयकर विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि इस आंकड़े में कई ऐसी कंपनियां शामिल थीं जो बड़े सरकारी बैंकों और कॉरपोरेट घरानों की सहायक/समूह कंपनियां हैं।
कर विभाग इन एनबीएफसी के बहीखातों और वित्तीय विवरणों को जुटाने की प्रक्रिया में है। एक अधिकारी के अनुसार, इन कंपनियों में ऋण बुक वृद्घि बैंकों की तुलना में दोगुनी थी। कर विभाग इन एनबीएफसी की परिसंपत्ति-देनदारी में असमानता भी पाई है जिसकी जांच की जाएगी। विभाग ने वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) से भी जानकारी जुटाई है। इस साल के शुरू में, एफआईयू ने उन 9,236 एनबीएफसी की सूची जारी की थी जो गैर-अनुपालन से जुड़ी हैं और धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत दायित्व को पूरा नहीं किया। पीएमएलए नियमों के तहत एनबीएफसी को 10 लाख रुपए या इससे अधिक के नकद लेनदेन के लिए मासिक आधार पर कर रिटर्न फाइल करने के लिए एफआईयू के साथ पंजीकृत प्रिंसिपल ऑफि सर की नियुक्ति करने की जरूरत होती है।