पहली छमाही में सरपट दौड़ा बाजार, आगे की राह कठिन

Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Sep, 2023 03:16 PM

market galloped in the first half the road ahead is difficult

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में शेयर बाजार, खास तौर पर स्मॉल कैप और मिड कैप ने शानदार प्रदर्शन किया है। मगर कच्चे तेल के चढ़ते दाम और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में इजाफे से दूसरी छमाही में बाजार के प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है।

नई दिल्लीः चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में शेयर बाजार, खास तौर पर स्मॉल कैप और मिड कैप ने शानदार प्रदर्शन किया है। मगर कच्चे तेल के चढ़ते दाम और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में इजाफे से दूसरी छमाही में बाजार के प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है।

वित्त वर्ष 2024 की शुरुआत में निवेशकों का हौसला आज की तरह बुलंद नहीं था। दुनिया भर के केंद्रीय बैंक लगातार ब्याज दरें बढ़ा रहे थे, मुद्रास्फीति ऊंची थी और प​श्चिमी देशों में बैंकिंग संकट था। इन वजहों से बाजार ठंडा था। वित्त वर्ष शुरू होने से कुछ दिन पहले 24 मार्च को सेंसेक्स पांच महीने के निचले स्तर 57,527 अंक पर और निफ्टी 16,945 अंक पर चला गया था।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक अपनी रकम निकाल रहे थे, जिससे बाजार की आगे की राह भी धुंधली दिख रही थी। मगर 6 महीने बाद बाजार ने अपने प्रदर्शन से सबको चकित कर दिया।

अप्रैल से सितंबर तक निफ्टी 13 फीसदी चढ़ा है और निफ्टी मिडकैप में 35 फीसदी तथा निफ्टी स्मॉलकैप में 42 फीसदी की तेजी आई है। कुल मिलाकर चालू वित्त के पहले छह महीनों में बाजार का प्रदर्शन वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही (तब कोविड के निचले स्तर से बाजार ने जोरदार वापसी की थी) के बाद सबसे अच्छा रहा है।

माना जा रहा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व दरें आक्रामक तरीके से नहीं बढ़ाएगा और वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी मंदी का झटका लगने का खटका नहीं है। इससे पहली छमाही में निवेशकों में जो​खिम लेने का हौसला बढ़ा। विदेशी निवेशकों का प्रवाह बढ़ने से भी बाजार को बल मिला। कुल मिलाकर चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में एक महीने को छोड़कर बाकी महीनों में देसी बाजार बढ़त में रहा है।

कंपनियों के उत्साहजनक आंकड़ों ने प​​श्चिमी देशों में बैंकिंग संकट की चिंता दूर कर दी और सकारात्मक वृहद आ​र्थिक आंकड़ों से भारतीय फर्मों का मुनाफा काफी तेज बढ़ने की उम्मीद रही। इसलिए विदेशी निवेशकों ने शेयरों पर खूब दांव लगाए।

अवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैटजीज के मुख्य कार्या​धिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘शुरू में अनुमान लगाया गया था कि चीन का बाजार खुल सकता है, जिससे वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अ​र्थिक स्थायित्व एवं वृद्धि की बदौलत भारतीय बाजार निवेशकों का पसंदीदा बन गया।’

अल्फानीति फिनटेक के संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा कि जब प​श्चिमी देशों में बैंक विफल हो रहे थे तब भारतीय बैंकिंग प्रणाली ने मजबूती दिखाई। इसकी वजह से विदेशी निवेशक और अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित हुए।

शुरुआती 6 महीनों में से 5 में विदेशी निवेशक शुद्ध लिवाल रहे और इस दौरान 1.43 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे गए। घरेलू निवेशकों ने भी इस दौरान 50,408 करोड़ रुपये की लिवाली की। निवेश बढ़ने से भारतीय शेयर बाजार पिछले 6 महीने में दुनिया में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले बाजारों में शुमार हो गया लेकिन आगे की राह उतनी आसान नहीं दिख रही है। दूसरी छमाही में बाजार का रिटर्न नरम हो सकता है क्योंकि बाजार को कई चुनौतियों से जूझना होगा। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चौकन्ने रुख के कारण इस महीने ​विदेशी फंडों ने बिकवाली बढ़ा दी है।

अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने सितंबर में दरें नहीं बढ़ाईं मगर संकेत दिया कि दरें लंबे समय तक ऊंची बनी रह सकती हैं। बॉन्ड प्रतिफल में तेजी और कच्चे तेल के दाम में इजाफे से भी बिकवाली को बल मिला। बीते एक महीने में ब्रेंट क्रूड 12 फीसदी चढ़कर 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया है। भारत कच्चे तेल के लिए आयात पर निर्भर है, जिससे यहां के शेयर बाजार का आकर्षण प्रतिस्पर्धी बाजारों की तुलना में घट सकता है।

हॉलैंड ने कहा कि बाजार के लिए ताजा चुनौती कच्चे तेल के दाम में तेजी है। साल के अंत तक बाजार की नजर आम चुनावों पर हो जाएगी। ऐसे में निकट अव​धि में बाजार की तस्वीर नकारात्मक दिख रही है।

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