Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Sep, 2017 02:50 PM
अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए सरकार की प्रोत्साहन योजना की वजह से राजकोषीय घाटे पर असर पडऩे, रुपए
नई दिल्लीः अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए सरकार की प्रोत्साहन योजना की वजह से राजकोषीय घाटे पर असर पडऩे, रुपए के अवमूल्यन तथा ब्याज दरें प्रभावित होने की आशंका का असर आज शेयर बाजार में दिखा। इसके साथ ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा डॉलर को मजबूत बनाने की योजना, उत्तर कोरिया द्वारा हाइड्रोजन बम विस्फोट करने की धमकी और एसऐंडपी द्वारा चीन की रेटिंग कम किए जाने से भी निवेशकों की धारणा पर असर पड़ा, जिससे बाजार में बिकवाली बढ़ गई।सरकार पहले ही 2017-18 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.2 फीसदी तक सीमित रखने के लिए जूझ रही है, लेकिन अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए राजकोषीय समेकन के लक्ष्य से सरकार डिग सकती है।
विश्लेषकों का कहना है कि बॉन्ड यील्ड और ब्याज दरें बढऩे से राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है और इक्विटी बाजार अपेक्षाकृत कम आकर्षक हो सकता है। यूबीएस सिक्योरिटीज की भारत में अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन और इंडिया रिसर्च प्रमुख गौतम छौछडिय़ा ने कहा, 'वित्तीय समेकन के रुख में बदलाव से वैश्विक निवेशकों की भावना पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। वैश्विक इक्विट निवेशकों के बीच न केवल विकास के परिदृश्य को लेकर भारत पसंदीदा बना हुआ है, बल्कि स्थिर वृहद आर्थिक स्थिति का भी इसमें योगदान है।'
विदेशी निवेशकों ने शुक्रवार को 1,242 करोड़ रुपए के शेयरों की बिकवाली की, वहीं घरेलू निवेशकों ने केवल 520 करोड़ रुपए की लिवाली की। बाजार में उतार-चढ़ाव का संकेतक इंडिया वीआईएक्स सूचकांक भी 10 फीसदी बढ़ा है। उत्तर कोरिया की हाइड्रोजन बम विस्फोट करने की धमकी और एसऐंडपी द्वारा चीन की रेटिंग 1999 के बाद पहली बार घटाने से अधिकांश एशियाई बाजारों में गिरावट दर्ज की गई। विदेशी निवेशकों ने अगस्त से अब तक भारतीय शेयर बाजार से 2 अरब डॉलर से ज्यादा की निकासी की है।