Edited By ,Updated: 10 May, 2016 01:15 PM
आईसीआईजे ने कर चोरी के सुरक्षित ठिकाने माने जाने वाले देशों में कंपनियां रखने से जुड़ी ‘पनामा पेपर्स’ की विस्तृत जानकारी प्रकाशित की है। इसमें हजारों दस्तावेज एेसे हैं, जो भारत के लगभग 2000 लोगों, कंपनियों और पतों से जुड़े हैं।
नई दिल्ली: आईसीआईजे ने कर चोरी के सुरक्षित ठिकाने माने जाने वाले देशों में कंपनियां रखने से जुड़ी ‘पनामा पेपर्स’ की विस्तृत जानकारी प्रकाशित की है। इसमें हजारों दस्तावेज एेसे हैं, जो भारत के लगभग 2000 लोगों, कंपनियों और पतों से जुड़े हैं। इंटरनेशनल कंर्सोटियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) ने सोमवार को एक डेटाबेस प्रकाशित किया है, जिसने नेवादा से हांगकांग तक और ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में स्थापित लगभग 2.14 लाख विदेशी इकाइयों की गोपनीयता को उजागर करके रख दिया है। कंर्सोटियम ने अपने हालिया संदेश में कहा, ‘‘यह जानकारी पनामा पेपर्स जांच का हिस्सा है।
यह विदेशी कंपनियों और उनके पीछे के लोगों के बारे में अब तक जारी हुई सबसे बड़ी जानकारी है। उपलब्ध होने पर इसमें इन अपारदर्शी इकाइयों के असल मालिकों के नाम भी शामिल हैं।’’ इस डेटाबेस में भारत से जुड़ी जानकारी को तलाशने पर इसमें लगभग 22 विदेशी इकाइयों, 1046 अधिकारियों या लोगों के लिंक, 42 बिचौलियों एवं देश के भीतर 828 पते मिलते हैं। इनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे उपनगरीय शहरों से लेकर हरियाणा के सिरसा, बिहार के मुजफ्फरपुर और मध्यप्रदेश के मंदसौर और राज्य की राजधानी भोपाल तक के पते शामिल है।
पनामा की विधि कंपनी मोसैक फोन्सेका के हासिल गोपनीय विदेशी डेटा के आधार पर ‘पनामा पेपर्स’ की पहला संस्करण लेकर आने वाली इस वैश्विक संस्था ने कहा कि किसी विशेष देश के बारे में जानकारी का ‘दूसरा पहलू’ हो सकता है क्योंकि उसने यह दोहराया कि ‘‘विदेशी कंपनियों और ट्रस्टों के वैध इस्तेमाल भी हैं।’’
संस्था ने अपने वेब पोर्टल पर कहा, ‘‘हम यह नहीं कहना चाहते कि आईसीआईजे के विदेशी लीक डेटाबेस में जिन लोगों, कंपनियों या अन्य इकाइयों के नाम हैं, उन्होंने कानून तोड़ा है या अनुचित तरीके से व्यवहार किया है।’’ पिछले माह पनामा पेपर्स के पहले सेट में सामने आए 500 से अधिक नामों पर गौर करने के लिए भारत ने एक बहु-एजेंसी समूह (एम.ए.जी.) गठित किया है, जिसमें आयकर विभाग, एफ.आई.यू., आर.बी.आई. और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के तहत आने वाले विदेशी कर एवं कर अनुसंधान (एफ.टी. और टी.आर.) शामिल हैं।