कोरोना काल के वर्षो से पूर्वानुमान से भी ज्यादा मजबूती के साथ उभरी भारतीय अर्थव्यवस्थाः RBI बुलेटिन

Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Mar, 2023 06:46 PM

retail inflation high core inflation defying softening of input costs

आरबीआई ने कहा है कि कोरोना काल के वर्षो से भारतीय अर्थव्यवस्था पूर्वानुमान से ज्यादा मजबूती के साथ उभरा है। मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था एक गति के साथ विकास की रफ्तार पकड़ रही है। आरबीआई ने अपने बुलेटिन में

नई दिल्लीः आरबीआई ने कहा है कि कोरोना काल के वर्षो से भारतीय अर्थव्यवस्था पूर्वानुमान से ज्यादा मजबूती के साथ उभरा है। मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था एक गति के साथ विकास की रफ्तार पकड़ रही है। आरबीआई ने अपने बुलेटिन में कहा कि वैश्विक आर्थिक विकास की रफ्तार जहां धीमी पड़ रही है यहां तक की 2023 में मंदी में प्रवेश करने करने के भी आसार है इस सबके बीच भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती देखी जा रही है।

बुलेटिन में कहा गया है वैश्विक अर्थव्यवस्था के समान भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की रफ्तार नहीं घटेगी। 2022-23 में जो रफ्तार उसने हासिल किया है वो आगे भी बरकरार रहने वाला है। आरबीआई बुलेटिन में कहा गया है कि आपूर्ति के लिहाज से देखें तो कृषि क्षेत्र बेहद कर रहा है। उद्योग जगत संकुचन के दौर से बाहर निकल रहा है और सर्विसेज अपनी गति के साथ आगे बढ़ रहा है। हालांकि महंगाई के मोर्चे पर चिंता जाहिर करते हुए बुलेटिन में कहा गया है कि खुदरा महंगाई दर अभी भी ज्यादा बना हुआ है और कोर इंफ्लेशन इनपुट कॉस्ट में नरमी के बावजूद कम होने का नाम नहीं ले रहा है।

आरबीआई बुलेटिन के मुताबिक ग्लोबल फाइनैंशियल मार्केट को अब लगने लगा है कि सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में कमी नहीं करेंगे। 2022 में ब्याज दरें में भारी इजाफे के बावजूद वैश्विक अर्थव्यवस्था का तेजी से विस्तार हो रहा है। हाल ही में लेबर मार्केट को लेकर एडवांस इकोनॉमी द्वारा जारी किए गए डाटा के अलावा वेतन और उपभोक्ताओं के खर्च करने की प्रवृति से ये पता लगता है। इसी के चलते महंगाई में बढ़ोतरी देखी जा रही है।

आरबीआई ने अपने बुलेटिन में कहा कि लेबर मार्केट में मजबूती हैरान करने वाला है और इसमें एक प्रकार का बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। एक ओर जहां टेक कंपनियां बड़े पैमाने पर छंटनी कर रही हैं, वहीं लेजर, हॉस्पिटैलिटी, रिटेल और हेल्थकेयर सेक्टर जबरदस्त हायरिंग कर इसकी भरपाई कर रही है। इससे वेज महंगाई बढ़ रही है. वेज इंफ्लेशन अभी भी कोरोना पूर्व दौर के ऊपर बना हुआ है। ऐसे में सेंट्रल बैंकों के ब्याज दरें बढ़ाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2023 के पहले पखवाड़े में अमेरिका में बैंकों के ठप्प पड़ने से ग्लोबल फाइनैंशियल मार्केट को बड़ा झटका लगा है। इसका सीधा असर आर्थिक गतिविधि पर पड़ने वाला है। आरबीआई बुलेटिन हर महीने जारी की जाती है जिसमें  घरेलू अर्थव्यवस्था और वैश्विक अर्थव्यवस्था के ट्रेंड के बारे में बताया जाता है। इसमें आरबीआई के विशेषज्ञ अपनी राय रखते हैं।


 

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