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RBI stop printing Notes : RBI ने बताया कौन से तीन नोट अब नहीं छपेंगे, रोजाना लेनदेन पर पड़ेगा गहरा प्रभाव

Edited By Anu Malhotra,Updated: 01 Jun, 2025 10:00 PM

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RBI ने एक अहम फैसला लेते हुए तीन प्रमुख नोटों की छपाई बंद कर दी है। इस बदलाव का मकसद देश के मुद्रा प्रणाली को और अधिक सुरक्षित और प्रभावी बनाना है। जानिए कौन-कौन से नोट अब बाजार में नए नहीं छापे जाएंगे और इसके पीछे क्या वजहें हैं, जो आपके दैनिक...

नेशनल डेस्क: RBI ने एक अहम फैसला लेते हुए तीन प्रमुख नोटों की छपाई बंद कर दी है। इस बदलाव का मकसद देश के मुद्रा प्रणाली को और अधिक सुरक्षित और प्रभावी बनाना है। जानिए कौन-कौन से नोट अब बाजार में नए नहीं छापे जाएंगे और इसके पीछे क्या वजहें हैं, जो आपके दैनिक लेनदेन और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं। इस कदम से डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ नकली नोटों की समस्या को भी कम करने में मदद मिलेगी।

₹2000 के नोट अब लगभग बंद

RBI ने पिछले वित्तीय वर्ष से ₹2000 के नोटों को बाजार से वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की थी। मार्च 2025 तक, कुल ₹3.56 लाख करोड़ के नोटों में से लगभग 98.2% बैंकिंग सिस्टम में लौट चुके हैं, जिससे ₹2000 के नोट अब आम लोगों के पास बेहद कम बचे हैं।

₹500 का नोट बना सबसे लोकप्रिय

अभी के दौर में ₹500 का नोट सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। नोटों की कुल संख्या में इसका हिस्सा करीब 41% है, जबकि कुल मूल्य के मामले में यह अकेले 86% तक का योगदान करता है। यही कारण है कि ₹500 के नोट भारतीय करेंसी का सबसे बड़ा स्तंभ बन चुके हैं।

किन नोटों की छपाई बंद हुई?

RBI ने साफ कर दिया है कि ₹2, ₹5 और ₹2000 के नोट अब नई छपाई के लिए जारी नहीं किए जाएंगे। इसका मतलब है कि भविष्य में इन नोटों की संख्या स्थिर रहेगी और धीरे-धीरे पुराने नोट बाजार से हटते जाएंगे।

सिक्कों की संख्या और मूल्य में बढ़ोतरी

वहीं, सिक्कों के क्षेत्र में भी वृद्धि देखने को मिली है। FY25 में सिक्कों की कुल संख्या में 3.6% और मूल्य में करीब 9.6% की बढ़ोतरी हुई है। ₹1, ₹2 और ₹5 के सिक्के कुल सिक्कों की 81.6% हिस्सेदारी रखते हैं, जो उन्हें आम लेन-देन के लिए सबसे ज्यादा लोकप्रिय बनाता है।

डिजिटल करेंसी की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता

RBI की डिजिटल करेंसी e₹ की वैल्यू FY25 में 334% बढ़कर ₹1,016.5 करोड़ तक पहुंच गई है। डिजिटल ₹500 की हिस्सेदारी इसमें सबसे ज्यादा है, जो 84.4% तक पहुंच गई है। डिजिटल करेंसी के बढ़ते उपयोग से कैशलेस इंडिया की दिशा में भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।

जाली नोटों की स्थिति

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ₹10, ₹20 और ₹2000 के नकली नोटों की संख्या में कमी आई है, जबकि ₹200 और ₹500 के नकली नोटों की पकड़ बढ़ी है। इससे पता चलता है कि जाली नोटबंदी की चुनौतियां अभी बनी हुई हैं।

खर्च और पर्यावरण संरक्षण

FY25 में नोट छपाई पर ₹6,372.8 करोड़ खर्च हुए, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। साथ ही पुराने और गंदे नोटों के निपटान के लिए अब पर्यावरण के अनुकूल तरीके अपनाए जा रहे हैं, जिनमें इन नोटों को पार्टिकल बोर्ड और फर्नीचर बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा।

‘Sa-Mudra’ परियोजना से करेंसी प्रबंधन होगा हाई-टेक

RBI ने ‘Sa-Mudra’ नाम की नई पहल शुरू की है, जो नोटों की गिनती, छंटाई और ट्रैकिंग को डिजिटल और ऑटोमैटिक बनाएगी। इससे करेंसी प्रबंधन में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ेगी।

- BIS प्रमाणित नोट सॉर्टिंग मशीनों का उपयोग 1 नवंबर 2025 से अनिवार्य होगा।

-‘MANI App’ जैसी तकनीकें दृष्टिबाधितों के लिए नोट पहचानने में मदद कर रही हैं।

-‘मोबाइल कॉइन वैन’ और ‘कॉइन मेला’ जैसी पहलों से सिक्कों की उपलब्धता बढ़ाने का प्रयास जारी है।

 

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