Edited By Supreet Kaur,Updated: 09 May, 2018 12:43 PM
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के केंद्रीय पूल में चावल का स्टॉक राज्यों से धीमे उठाव की वजह से पांच साल में सर्वाधिक बढ़कर अप्रैल में 2.5 करोड़ टन पर पहुंच गया। चावल का इतना ज्यादा स्टॉक वर्ष 2013 के बाद से नहीं देखा गया था। एफसीआई ने अपनी अन्य नामित...
नई दिल्लीः भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के केंद्रीय पूल में चावल का स्टॉक राज्यों से धीमे उठाव की वजह से पांच साल में सर्वाधिक बढ़कर अप्रैल में 2.5 करोड़ टन पर पहुंच गया। चावल का इतना ज्यादा स्टॉक वर्ष 2013 के बाद से नहीं देखा गया था। एफसीआई ने अपनी अन्य नामित एजेंसियों के साथ मिलकर 7 मई तक चालू खरीफ विपणन सत्र के लिए 3.296 करोड़ टन चावल की खरीद की जिसमें से लगभग एक-तिहाई का योगदान अकेले पंजाब (1.193 करोड़ टन) का रहा। एजेंसी ने कुछ स्टॉक सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिये घटाया, लेकिन फिर भी इसे केंद्रीय पूल में आरामदायक स्तर पर नहीं लाया जा सका।
गेहूं की खरीद सत्र जल्द समाप्त हो रहा है और 7 मई तक चालू रबी विपणन सत्र के लिए 2.967 करोड़ टन की कुल खरीद हुई है। इससे एफसीआई को अपने केंद्रीय पूल में इतनी ज्यादा इन्वेंट्री से निपटने के लिए भंडारण सुविधा की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। एफसीआई ने अपनी सालाना जरूरत पूरी करने के लिए 20-30 लाख टन और गेहूं खरीदने की योजना बनाई है। एफसीआई के कार्यकारी निदेशक आर पी सिंह ने कहा, 'हालांकि चावल का स्टॉक मौजूदा समय में अपेक्षाकृत अधिक है, लेकिन यह चिंताजनक स्तर पर भी नहीं है। हमें पीडीएस के जरिये एक साल की वितरण जरूरतों के लिए अपने केंद्रीय पूल में 3.2 करोड़ टन चावल और 3.6 करोड़ टन गेहूं की जरूरत है। हम इतने बड़े स्टॉक से निपटने के लिए जून में ओपन मार्केट सेल (ओएमएस) शुरू करने की योजना बना रहे हैं।'
जनवरी 2018 से एफसीआई ने अपने केंद्रीय पूल में कम से कम 80 लाख टन चावल का स्टॉक जोड़ा है। बाजार सूत्रों का कहना है कि चावल स्टॉक में वृद्घि की मुख्य वजह राज्यों से धीमा उठाव है। सामान्य तौर पर चावल की किल्लत से जूझ रहे राज्य आक्रामक तौर पर खरीदारी करते हैं। लेकिन इस साल गेहूं, मक्का, ज्वार और बाजरा समेत अन्य मोटे अनाज की बंपर पैदावार की वजह से चावल के उठाव में अपेक्षाकृत सुस्ती बनी हुई है।