एक महीने से भी कम समय में हल्दी की कीमतें 42% बढ़ीं

Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Jul, 2023 02:18 PM

turmeric prices surge 42 in less than a month

जीरा, टमाटर और दलहन के बाद अब हल्दी की कीमत बढ़ने की बारी है। प्रमुख इलाकों में बोआई में देरी, व्यापारियों के पास स्टॉक कम होने और पिछले कुछ सीजन में कम मुनाफा के कारण इसकी खेती को लेकर उदासीनता के कारण एक महीने से भी कम समय में हल्दी की कीमत में...

नई दिल्लीः जीरा, टमाटर और दलहन के बाद अब हल्दी की कीमत बढ़ने की बारी है। प्रमुख इलाकों में बोआई में देरी, व्यापारियों के पास स्टॉक कम होने और पिछले कुछ सीजन में कम मुनाफा के कारण इसकी खेती को लेकर उदासीनता के कारण एक महीने से भी कम समय में हल्दी की कीमत में करीब 42 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। कुछ व्यापारियों का कहना है कि कुछ जमाखोरी भी संभव है, क्योंकि कई साल के बाद इससे मुनाफे में सुधार हुआ है।

एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक हल्दी का हाजिर भाव 20 जून को मोटे तौर पर 8,100 रुपए प्रति क्विंटल था, जो 19 जून को बढ़कर 11,500 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक हल्दी की खुदरा महंगाई जनवरी के 7.6 प्रतिशत से घटकर जून में 4 प्रतिशत पर आ गई है, जो मंत्रालय के अंतिम उपलब्ध आंकड़े हैं।

हल्दी लंबे समय में तैयार होने वाली फसल है और इसकी ज्यादातर फसल 250 से 270 दिन में पकती है। इसकी बोआई सामान्यतया जाते मॉनसून के वक्त जुलाई में शुरू होती है और मार्च में फसल तैयार होती है। हालांकि कुछ ऐसी किस्में हैं, जो जल्दी तैयार हो जाती हैं लेकिन अधिकतर फसल को तैयार होने में 8 महीने लग जाते हैं। पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक 2022-23 फसल वर्ष में भारत में 11.6 लाख टन हल्दी का उत्पादन हुआ, जो 2021-22 के 12.2 लाख टन की तुलना में मामूली कम था।

सामान्यतया 2,90,000 से 3,30,000 हेक्टेयर जमीन पर हल्दी की खेती की जाती है लेकिन 2022-23 में आधिकारिक अनुमान के मुताबिक इसके रकबे में करीब 10,000 हेक्टेयर की कमी आई है। तेलंगाना के निजामाबाद के आरमूर इलाके के हल्दी किसान मधुसूदन ने कहा, ‘पिछले 5 साल में हल्दी की कीमत बमुश्किल 5,000 से 7,000 रुपए प्रति क्विंटल के ऊपर गई है, जो उत्पादन की लागत निकालने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसकी वजह से किसानों ने इसकी जगह दूसरी खेती शुरू कर दी।

इस साल तेलंगाना और महाराष्ट्र में बारिश कम हुई है, इसकी वजह से बुआई का रकबा और कम हुआ है।’ उन्होंने कहा कि आरमूर में हल्दी का रकबा घटकर 20,000 से 25,000 एकड़ रह गया है, जो 5 साल पहले 35,000 एकड़ था। हल्दी कारोबारी पूनम चंद गुप्ता ने कहा कि महाराष्ट्र के प्रमुख उत्पादक इलाकों महाराष्ट्र के सांगली और नांदेड़, तेलंगाना के निजामाबाद और तमिलनाडु के इरोड में पिछले साल की तुलना में अब तक बोआई का रकबा 10 से 15 प्रतिशत कम हुआ है, जिसकी वजह से कीमत बढ़ी है।

बहरहाल कुछ कारोबारियों का कहना है कि प्रमुख उत्पादक राज्यों में बारिश तेज होने के साथ बोआई गति पकड़ेगी, जिससे खुले बाजार में हल्दी की कीमत में कमी आ सकती है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 1 जून से 19 जुलाई तक कुल मिलाकर दक्षिण पश्चिम मॉनसून से बारिश तेलंगाना में सामान्य से 1 प्रतिशत ज्यादा हुई है, जबकि महाराष्ट्र में 5 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इन दोनों राज्यों में पिछले कुछ दिनों ने मॉनसून ने जोरदार वापसी की है, जिससे स्थिति सुधरेगी। पिछले सप्ताह तक तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र उन राज्यों में थे जहां ज्यादातर जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई थी।

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