Edited By Pardeep,Updated: 02 Jul, 2018 05:02 AM
कई भारतीय ज्यादा पैसा कमाने के लिए या फिर मजबूरी में विदेश का रुख करते हैं। इन देशों में अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे देशों के अलावा गल्फ कंट्रीज यानी संयुक्त अरब अमीरात (यू.ए.ई.) कतर, कुवैत आदि भी शामिल हैं। हालांकि विदेश में रहने के...
नई दिल्ली: कई भारतीय ज्यादा पैसा कमाने के लिए या फिर मजबूरी में विदेश का रुख करते हैं। इन देशों में अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे देशों के अलावा गल्फ कंट्रीज यानी संयुक्त अरब अमीरात (यू.ए.ई.) कतर, कुवैत आदि भी शामिल हैं।
हालांकि विदेश में रहने के बावजूद भारतीय अपने परिवार को पैसा भेजने में पीछे नहीं हैं। विदेश में रहने वाले भारतीयों द्वारा देश में भेजे जाने वाले पैसों को रैमिटैंस कहा जाता है और यह सबसे ज्यादा भारत में आता है। वल्र्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में भारत में 4.7 लाख करोड़ रुपए का रैमिटैंस आया। वहीं प्रति भारतीय सालाना रैमिटैंस 3.4 लाख रुपए रहा। इसमें भी सबसे ज्यादा रैमिटैंस 1380 करोड़ डॉलर यू.ए.ई. में रहने वाले भारतीयों ने भेजा।
अमरीका में भारतीयों की संख्या यू.ए.ई. से ज्यादा होने के बावजूद रैमिटैंस के मामले में 1170 करोड़ डॉलर के साथ वह दूसरे नंबर पर रहा। दूसरी ओर अगर प्रति भारतीय द्वारा भेजे गए सालाना रैमिटैंस की बात करें तो इस मामले में सबसे आगे कतर में रहने वाले भारतीय रहे। वहां से प्रति भारतीय सालाना रैमिटैंस का आंकड़ा 4.1 लाख रुपए रहा, वहीं सबसे पीछे ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय रहे जिन्होंने सिर्फ 390 करोड़ डॉलर ही भारत भेजे। वहीं ऑस्ट्रेलिया 200 करोड़ डॉलर के साथ सबसे निचले स्थान पर रहा।