ब्लैकमनी को खत्म करने का 'मास्टर स्ट्रोक' 2000 के नोट वापस लेना!

Edited By Yaspal,Updated: 21 May, 2023 10:58 PM

withdrawal of 2000 notes  stroke  to eliminate black money

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 19 मई की देर शाम 2000 रुपए को नोटों को वापस लेने का ऐलान किया जो काफी नपा तुला है। आरबीआई ने यह बिल्कुल नहीं कहा है कि वह 2000 रुपए के नोटों को चलन से बाहर कर रहा है या डिमोनेटाइज कर रहा है

बिजनेस डेस्कः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 19 मई की देर शाम 2000 रुपए को नोटों को वापस लेने का ऐलान किया जो काफी नपा तुला है। आरबीआई ने यह बिल्कुल नहीं कहा है कि वह 2000 रुपए के नोटों को चलन से बाहर कर रहा है या डिमोनेटाइज कर रहा है। उसने कहा है कि आरबीआई चाहता है कि 2000 रुपए के नोटों का जो उद्देश्य है वह खत्म हो गया है और अब उसे वह वापस ले रहा है लेकिन वह लीगल टेंडर बना रहेगा। इस फैसले के पीछे सरकार न हो, ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता है। वास्तव में सरकार ने देश से ब्लैकमनी को खत्म करने का एक मास्टरस्ट्रोक खेल दिया है।


2000 रुपए के नोटों में जमा ब्लैकमनी?
वास्तव में बीते कुछ समय से मार्केट से 2000 रुपए के नोट गायब हो गए हैं। इसके कुछ प्रमुख कारण हैं- एक तो बैंकों ने एटीएम में 2000 रुपए के नोट रखने बंद कर दिए थे। दूसरी ओर, बीते पांच सालों से आरबीआई ने भी 2000 रुपए को नोटों को छापना बंद कर दिया था। ऐसे में सवाल उभर रहा था कि आखिर 2 हजार रुपए के नोट हैं कहां? क्या लोगों ने 2000 रुपए के नोटों के रूप में ब्लैकमनी रखनी शुरू कर दी है। कई बार इसका जिक्र भी हुआ और जहां भी छापेमारी पड़ी वहां से 2000 रुपए के नोट ही मिले। इसी वजह से शक यकीन में बदल रहा था कि कई लोगों ने अपनी ब्लैक मनी को बड़े नोटों की शक्ल में छिपाकर रखी हुई थी।

मार्च 2023 तक सर्कुलेशन में रह गए 10.8 फीसदी
नवंबर 2016 में पुराने 500 और 1,000 रुपये के नोटों को चलन से हटाने के बाद दो हजार रुपये का नोट जारी किया गया था। नवंबर 2016 में नोटबंदी के उलट 2,000 रुपये का नोट 30 सितंबर वैध मुद्रा बना रहेगा। यह कहा जा रहा था कि दो हजार रुपये के नोट का उपयोग कथित रूप से काला धन जमा करने और काले धन को सफेद बनाने में किया जा रहा था। इसको देखते हुए दो हजार रुपये के नोट को चलन से हटाने का फैसला किया गया। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2018-19 से 2,000 रुपये के नोट की छपाई बंद कर दी थी।दो हजार रुपये के करीब 89 प्रतिशत नोट मार्च 2017 से पहले जारी किए गए थे। मार्च 2018 में चलन में मौजूद कुल नोट में दो हजार रुपये के नोट की हिस्सेदारी 37.3 प्रतिशत थी जो 31 मार्च, 2023 को घटकर 10.8 प्रतिशत रह गई। मूल्य के हिसाब से मार्च 2018 में कुल 6.73 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट 2,000 रुपये के थे जबकि 31 मार्च, 2023 को इनका मूल्य 3.62 लाख करोड़ रुपये रह गया।

अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ेगा प्रभाव-गर्ग
पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने शनिवार को कहा कि 2,000 रुपये का नोट वापस लिए जाना ‘बहुत बड़ी घटना' नहीं है और इससे अर्थव्यवस्था या मौद्रिक नीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि 2,000 रुपये के नोट को 2016 में विमुद्रीकरण के समय ‘आकस्मिक कारणों' से मुद्रा की अस्थायी कमी को दूर करने के लिए लगाया गया था। गर्ग ने कहा कि पिछले पांच-छह वर्षों में डिजिटल भुगतान में भारी वृद्धि के बाद, 2,000 रुपये का नोट (जो वास्तव में अन्य मूल्यवर्ग के नोटों के स्थान पर लाया गया था) वापस लेने से कुल मुद्रा प्रवाह प्रभावित नहीं होगा और इसलिए मौद्रिक नीति पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, “इससे भारत के आर्थिक और वित्तीय तंत्र के परिचालन पर भी प्रभाव नहीं पड़ेगा। जीडीपी वृद्धि या जन कल्याण पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा।” आरबीआई ने शुक्रवार को 2,000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने की घोषणा की थी। इस मूल्य के नोट बैंकों में जाकर 30 सितंबर तक जमा या बदले जा सकेंगे। आरबीआई ने शाम को जारी एक बयान में कहा कि अभी चलन में मौजूद 2,000 रुपये के नोट 30 सितंबर तक वैध मुद्रा बने रहेंगे।

2000 रुपए का नोट अवैध लेन-देन में होता है उपयोगः पनगड़िया
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगड़िया ने कहा है कि 2000 का नोट वापस मंगाने के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के फैसले से अर्थव्यवस्था पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि ऐसे वापस हुए नोटों के स्थान पर उसी कीमत में कम मूल्यवर्ग के नोट जारी कर दिए जाएंगे। पनगड़िया ने कहा कि इस कदम के पीछे संभावित मकसद अवैध धन की आवाजाही को और मुश्किल बनाना है। उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, “हम इसका अर्थव्यवस्था पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं देखेंगे। 2,000 के नोट की कितनी भी राशि को बराबर कीमत में कम मूल्यवर्ग के नोटों से बदल दिया जाएगा या जमा कर दिया जाएगा। इसलिए धन प्रवाह पर प्रभाव नहीं पड़ेगा।” पनगरिया ने कहा कि 2,000 रुपये के नोट वर्तमान में जनता के हाथों में कुल नकदी का केवल 10.8 प्रतिशत हैं और इसमें से भी ज्यादातर राशि का उपयोग संभवत: अवैध लेनदेन में होता है।

ब्लैकमनी पर काफी हद तक लगेगी लगाम- आर गांधी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी ने शुक्रवार को कहा कि 2,000 रुपये के बैंक नोट वापस लेने से काले धन पर रोक लगाने में काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकेगा क्योंकि लोग यह नोट जमा कर रहे हैं। गांधी ही वर्ष 2016 में 500 और 1,000 रुपये के नोट चलन से हटाये जाने के समय आरबीआई में मुद्रा विभाग के प्रमुख थे। उन्होंने कहा कि भुगतान पर किसी भी प्रणालीगत प्रभाव की संभावना नहीं है क्योंकि इन नोटों का उपयोग दैनिक भुगतानों में नहीं किया जाता है। ज्यादातर भुगतान डिजिटल माध्यम से होते हैं। हालांकि, मुद्रा बदलने के लिए एक दिन में 20,000 रुपये की सीमा ‘परिचालन असुविधा' का कारण बन सकती है। क्योंकि हो सकता है कि कुछ लोगों को एक बैंक शाखा में कई बार जाना पड़े। काले धन पर अंकुश लगाने के एजेंडे पर 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर गांधी ने कहा कि इससे काफी हद तक मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि (2016 में) मुद्रा को चलन से हटाने का एक बड़ा कारण अर्थव्यवस्था में काले धन पर रोक लगाना था।

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