इंटैलीजैंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम से होगी CTU बसों की निगरानी

Edited By Priyanka rana,Updated: 24 Feb, 2020 10:55 AM

ctu bus

चंडीगढ़ प्रशासन सी.टी.यू. की जिन बसों में जल्द ही इंटैलीजैंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आई.टी.एस.) शुरू करने जा रहा है, उसके बाद न केवल बसों में पिलफ्रेज (चोरी) रुक जाएगी बल्कि इससे बसों के रैवेन्यू में भी इजाफा होने की उम्मीद है।

चंडीगढ़(साजन) : चंडीगढ़ प्रशासन सी.टी.यू. की जिन बसों में जल्द ही इंटैलीजैंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आई.टी.एस.) शुरू करने जा रहा है, उसके बाद न केवल बसों में पिलफ्रेज (चोरी) रुक जाएगी बल्कि इससे बसों के रैवेन्यू में भी इजाफा होने की उम्मीद है। ऐसा अधिकारियों का अंदेशा है। आई.टी.एस. के जरिए ड्राइवरों की गतिविधियों पर भी नजर रखी जा सकेगी। बसों में होने वाली छेड़छाड़ की घटनाओं पर भी प्रशासन इसके बाद अंकुश लगने का दावा कर रहा है।

बसों में कैमरे इंस्टॉल किए जा रहे :
सी.टी.यू. की बसों में कैमरे इंस्टॉल किए जा रहे हैं। एक बस में दो से लेकर चार कैमरे लगाए जा रहे हैं जो न केवल बस के भीतर हो रही गतिविधियों को लाइव दिखा सकेंगे बल्कि इनकी रिकाॄडग भी कर सकेंगे। डायरैक्टर ट्रांसपोर्ट उमाशंकर ने बताया कि बसों में चढऩे वाली सवारियों और उनके उतरनवे के गंतव्य सहित बसों की राइडरशिप की तमाम जानकारियां इस इंटैलीजैंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम से मिल जाया करेंगी। सी.टी.यू. आगे की रणनीति तय करेगा। 

राइडरशिप का सर्वे कर रही है एजैंसी :
अहमदाबाद की एक एजैंसी सी.टी.यू. बसों में राइडरशिप का सर्वे कर रही है और इस काम में जुटी है कि कौन सा रूट सी.टी.यू. की बसों के लिए फायदेमंद होगा और कौन से रूटों पर बसें घटाने या बढ़ाने की जरूरत है, इसकी रिपोर्ट तो शायद देर में मिले लेकिन अपने स्तर पर बसों में राइडरशिप का एक रफ डाटा उन्हें मिलने लगेगा।

इस डाटा का अपने स्तर पर विश्लेषण शुरू कर दिया जाएगा जिसके आधार पर विभिन्न रूटों पर बसों की संख्या घटाई व बढ़ाई भी जाएगी। इसमें ये भी देखा जाएगा कि जिन रूटों पर सी.टी.यू. की बसों में रश भी रहता है वह किसी समय विशेष में रहता है या सारा दिन रूट व्यस्त रहता है। इसके हिसाब से ही सी.टी.यू. की बसों का आगे संचालन किया जाएगा। 

जी.पी.आर.एस. से रखी जाएगी नजर :
सी.टी.यू. की बसों में फिलहाल पिलफ्रेज की समस्या भी रहती है। कई ऐसे लोग बस में चढ़ते हैं जो टिकट नहीं लेते या जिन्हें कंडक्टर-ड्राइवर भी बिठा लेते हैं। इंटैलीजैंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम के बाद यह समस्या भी समाप्त हो जाएगी। कहां से कितनी सवारी चढ़ी और बस चलने के स्थान से लेकर बस पहुंचने के अंतिम छोर तक क्या राइडरशिप रही, कौन से विशेष स्थान से ज्यादा सवारियां चढ़ी, इसका भी आंकलन किया जाएगा। सी.टी.यू. की बसों में जी.पी.आर.एस. लगाने के बाद इन्हें ट्रैक करना भी आसान हो जाएगा। दफ्तर में ही अधिकारी बसों पर नजर रख सकेंगे। 

पैनिक बटन भी लगवाए जा रहे :
स्कॉडा का जो सैंटर सैक्टर-18 में बनने जा रहा है, वहां तो इन बसों को सीधे ट्रैक किया ही जा सकेगा लेकिन अब सी.टी.यू. के उच्चाधिकारी भी बसों की ट्रैकिंग व आंकड़े मिलने के बाद इनका दफ्तर में बैठे ही विश्लेषण कर सकेंगे। महिला सेफ्टी की बात पर उमाशंकर ने बताया कि कैमरों की व्यवस्था बसों में की जा रही है। पैनिक बटन भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट में लगवाए जा रहे हैं जिसे दबाकर किसी इमरजैंसी की अवस्था में महिलाएं या लड़कियां आगाह कर सकती हैं। 

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