‘जे.सी.टी. इलैक्ट्रॉनिक्स की 31 एकड़ जमीन को अफसरों-नेताओं ने बिल्डर को बेच किया घोटाला’

Edited By AJIT DHANKHAR,Updated: 14 Sep, 2021 01:13 AM

officers politicians did scam

मामले की सी.बी.आई. जांच व पुलिस सुरक्षा की मांग को लेकर पंजाब स्माल स्केल इंडस्ट्रीज एंड एक्सपोर्ट कार्पोरेशन के दो पूर्व निदेशकों ने हाईकोर्ट में दाखिल की याचिका  हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार सहित सी.बी.आई. को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया

चंडीगढ़, (रमेश हांडा): मोहाली में जे.सी.टी. इलैक्ट्रॉनिक्स की जमीन को नेताओं और अफसरों की मिलीभगत से निजी डिवैल्पर के हाथों बेचने के मामले में सी.बी.आई. जांच की मांग पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार सहित सी.बी.आई. को नोटिस जारी कर जवाब तलब कर
लिया है। याचिका दाखिल करते हुए पंजाब स्मॉल इंडस्ट्रीज एंड एक्सपोर्ट कार्पोरेशन के पूर्व निदेशक संदीप व रणदीप सूरी ने हाईकोर्ट को बताया कि मोहाली में जे.सी.टी. इलैक्ट्रॉनिक्स की 31 एकड़ भूमि को अधिकारियों, नेताओं व अन्य ने मिलकर ओने-पौने दामों में बेच दिया। इस नीलामी में नियमों को ताक पर रखा गया, जिससे सीधे तौर पर अफसरों व नेताओं को लाभ हुआ। 

 


इससे एक तरफ जहां नेताओं से मिल कर अफसरों ने करोड़ों का घोटाला किया है, वहीं इससे राज्य को भी करोड़ों के राजस्व का घाटा हुआ है। मोहाली में औद्योगिक क्षेत्र फेज-9 में जे.सी.टी. इलैक्ट्रॉनिक्स नामक कंपनी को 31 एकड़ जमीन 1987 में आवंटित की गई थी। औद्योगिक इकाई के दिवालिया होने के बाद की ऑक्शन : कुछ समय बाद औद्योगिक इकाई दिवालिया हो गई, जिसके बाद औद्योगिक इकाई की ओर से पंजाब स्मॉल इंडस्ट्रीज एंड एक्सपोर्ट कार्पोरेशन (पी.एस.आई.ई.सी.) से प्लॉट बेचने के लिए आवेदन किया। 
इसके बाद दो ऐसे अखबारों का चयन ऑक्शन नोटिस प्रकाशित करने के लिए किया गया, जिनकी नाममात्र की प्रति बिकती हैं। ऐसा इसलिए किया गया ताकि पूर्व में मिलीभगत से फाइनल की गई कंपनी को फायदा दिया जा सके।

 


नीलामी में एक ही कंपनी ने लगाई बिड 
 नीलामी में केवल एक कंपनी जी.आर.जी. बिल्डर एंड प्रोमोटर ने भाग लिया और निगम के बोर्ड ऑफ डायरैक्टर की मीटिंग में नेताओं ने दबाव बनाकर उक्त कंपनी की बिड फाइनल करवाई। बिड फाइनल करने से पहले ए.जी. पंजाब से परामर्श भी नहीं किया गया, जिसके संबंध में एक महिला अधिकारी ने लिखा भी लेकिन उसे भी दरकिनार कर दिया गया और पहले से तय कर ली गई कंपनी को 90.56 करोड़ में जमीन बेच दी गई। इसके बाद कंपनी ने केवल 45 करोड़ रुपए जमा करवाए। इस प्रक्रिया के दौरान याची लगातार उच्चाधिकारियों को इस बारे में अवगत करवाते रहे लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।


 45 करोड़ देकर 460 करोड़ में बेचे प्लॉट
जमीन का पजेशन भी कंपनी को बिना शर्तें पूरी करवाए आनन-फानन में दे दिया गया, जिसकी एवज में रैवेन्यू फीस भी नहीं ली गई जोकि करीब 9 करोड़ बनती थी। जिस कंपनी ने कौडिय़ों के भाव जमीन खरीदी थी, बाद में उसने 460 करोड़ में जमीन में कमर्शियल प्लाट काट कर बेचे। याची ने कहा कि बड़े नेताओं को इस घोटाले से फायदा हुआ है और ऐसे में इस मामले की जांच सी.बी.आई. को सौंपी जानी चाहिए।


याची को सरकार ने नहीं दी सुरक्षा 
याचिका दाखिल करने वाले अफसरों ने घोटाले को उजागर किया तो उन्हें धमकियां मिलने लगीं। शिकायतकत्र्ताओं ने सी.एम. समेत बड़े पुलिस अधिकारियों को भी लिखा सुरक्षा देने की मांग भी की लेकिन सरकार या पुलिस ने उनकी मांग पर गौर नहीं फरमाया। एडवोकेट कृष्ण सिंह डडवाल के जरिये दाखिल हुई याचिका में मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी सी.बी.आई. जांच करवाने और याचिका दाखिल करने वाले पूर्व अधिकारियों को सुरक्षा मुहैया करवाने की मांग की गई है। हाईकोर्ट ने याची पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद पंजाब सरकार सहित सी.बी.आई. व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब कर लिया है। 

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