अटैच होगी प्रशासन की प्रॉपर्टी

Edited By ,Updated: 16 Sep, 2016 09:06 AM

will be attached to the property administration

किसानों के मुआवजे से जुड़े एक केस में वीरवार को डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने प्रशासन की प्रॉपर्टी के वारंट ऑफ अटैचमैंट जारी किए हैं।

चंडीगढ़ (बृजेन्द्र): किसानों के मुआवजे से जुड़े एक केस में वीरवार को डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने प्रशासन की प्रॉपर्टी के वारंट ऑफ अटैचमैंट जारी किए हैं। कोर्ट ने यह कार्रवाई मौलीजागरां और मलोया के किसानों की जमीन एक्वायर करने के बाद मुआवजा न चुकाने पर की। कोर्ट ने शिकायतकर्ता पक्ष से प्रॉपर्टी की लिस्ट अदालत में सौंपने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी। 

 
वहीं प्रशासन की ओर से पेश हुए पटवारी ने कोर्ट को बताया कि प्रशासन को इस कार्य के लिए 100 करोड़ रुपए उपलब्ध कराया गया था। हालांकि बाद में कुल मुआवजा करीब 800 करोड़ रुपए हो गया। इसके लिए केंद्र से बजट मांगा गया है। इसकी प्रक्रिया चल रही है। यू.टी. प्रशासन ने दिसम्बर 2005 में मौलीजागरां और रायपुरकलां में किसानों की 6 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। यह जमीन चंडीगढ़ से पंचकूला सड़क बनाने के लिए अधिगृहित की गई थी। प्रशासन ने इसके बदले में किसानों को 19 लाख रुपए देना तय किया था। हालांकि बाद में हाईकोर्ट ने इसे बढ़ाकर 43.28 लाख रुपए कर दिया था। 
 
मलोया में प्रशासन ने जमीन एक्वायर की थी : वहीं मलोया में प्रशासन ने स्लम एरिया के डिवैल्पमैंट के लिए सितम्बर 2006 में 167 एकड़ जमीन एक्वायर की थी। इसके बदले में प्रशासन ने किसानों को 30.50 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा देना तय किया था। मुआवजे को कम बताते हुए किसान डिस्ट्रिक्ट कोर्ट गए, जहां कोर्ट ने प्रशासन को किसानों को 58.56 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा देने के आदेश दिए। हालांकि इसके बाद किसानों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर वहां से प्रशासन को 91.80 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन का मुआवजा देना तय हुआ था। 

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