ज्योतिष की सलाह: 19 से 23 नवंबर तक बरतें सावधानियां

Edited By ,Updated: 18 Nov, 2015 01:26 PM

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ज्योतिष विद्वानों के अनुसार जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि में रहता है उस समय को पंचक कहा जाता है। रामायणकाल में भगवान राम ने जब रावण का वध किया

ज्योतिष विद्वानों के अनुसार जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि में रहता है उस समय को पंचक कहा जाता है। रामायणकाल में भगवान राम ने जब रावण का वध किया था, उस समय घनिष्ठा से रेवती तक जो पांच नक्षत्र (धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उतरा भाद्रपद एवं रेवती) उपस्थित थे उन्हें पंचक कहा जाता है। पुराणों के अनुसार जब रावण की मृत्यु हुई उसके बाद से ही पांच दिन का पंचक माना जाता है।

बहुत सारे विद्वान इन नक्षत्रों को शुभ नहीं मानते इसलिए इन 5 दिनों में शुभ काम नहीं किए जाते। कल 19 नवंबर, बृहस्पतिवार से सुबह 07.35 से पंचक का आरंभ होगा, जो 23 नवंबर, सोमवार की दोपहर 12.18 तक रहेगा। 

पंचक में न करें ये काम

* अंतिम संस्कार न करें अन्यथा परिवार में पांच मृत्यु और हो जाती हैं। पंचक दोष को समाप्त करने के लिए शव के साथ आटे या कुश के पांच पुतले बनाकर शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है।

* चारपाई न बनवाएं अन्यथा घर-परिवार पर मुसिबतों का कहर टूट पड़ता है।

* रेवती नक्षत्र हो तो घर की छत न बनाएं, घर में पैसों से जुड़ी समस्याएं और कलह रहता है।

* घनिष्ठा नक्षत्र में घास, लकड़ी आदि ईंधन इकट्टा न करें, आग का भय रहता है।

* दक्षिण दिशा में यात्रा न करें, माना जाता है की ये यम की दिशा है।

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