Edited By ,Updated: 14 Apr, 2016 10:13 AM
शास्त्रों में देवी महागौरी को चतुर्भुजी कहकर संबोधित किया गया है। देवी महागौरी की ऊपर वाली दाईं भुजा अभय मुद्रा में हैं तथा नीचे वाली दाईं भुजा में त्रिशूल शोभा बढाता है।
शास्त्रों में देवी महागौरी को चतुर्भुजी कहकर संबोधित किया गया है। देवी महागौरी की ऊपर वाली दाईं भुजा अभय मुद्रा में हैं तथा नीचे वाली दाईं भुजा में त्रिशूल शोभा बढाता है। इनकी ऊपर वाली बाईं भुजा में डमरू हैं जो सम्पूर्ण जगत का निर्वाहन करा रहा है और नीचे वाली भुजा से देवी गौरी भक्तों की प्रार्थना सुनकर वरदान दे रही हैं। देवी महागौरी ने श्वेताम्बर परिधान धारण किए हुए हैं। इनकी सवारी श्वेत रंग का “वृष” है तथा ये सैदेव शुभंकरी है।
महागौरी जी से संबंधित एक कथा के अनुसार एक सिंह काफी भूखा था, वह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी उमा तपस्या कर रही होती हैं। देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गयी परंतु वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया। इस इंतजार में वह काफी कमज़ोर हो गया। देवी जब तप से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आती है और मां ने उसे अपनी सवारी बना लिया क्योंकि एक प्रकार से उसने भी तपस्या की थी। इसलिए देवी गौरी का वाहन बैल और सिंह दोनों ही हैं।