विद्वान ज्योतिष विषय को पूरी तरह समझने के पश्चात ही अनुसंधान का मार्ग अपनाएं : अभिजय चोपड़ा

Edited By Jyoti,Updated: 22 Dec, 2019 10:25 AM

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जालंधर(राहुल): ज्योतिष, जो एक विज्ञान व गणना आधारित विद्या है, के नियमों, उपनियमों, देश काल, स्थान, जातक के अनुरूप समझने की जरूरत है। इसके लिए निरंतर अनुसंधान जारी हैं।

64वां सरस्वती ज्योतिष सम्मेलन व प्रदर्शनी
जालंधर(राहुल):
ज्योतिष, जो एक विज्ञान व गणना आधारित विद्या है, के नियमों, उपनियमों, देश काल, स्थान, जातक के अनुरूप समझने की जरूरत है। इसके लिए निरंतर अनुसंधान जारी हैं। उक्त शब्द अखिल भारतीय सरस्वती ज्योतिष मंच द्वारा स्थानीय जलविलास पैलेस में आयोजित 64वें ज्योतिष सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए अनिल वत्स (दिल्ली) ने कहे। मंगलाचरण व सरस्वती वंदना के पश्चात शुरू हुए आज के द्वितीय सत्र के मुख्यातिथि अभिजय चोपड़ा (डायरैक्टर, पंजाब केसरी पत्र समूह) का पुष्पित अभिनंदन मंच के संस्थापक अध्यक्ष व संचालक पं. राजीव शर्मा, संरक्षक विक्रांत शर्मा, पत्रकार सुनील धवन, पंजाब कांग्रेस सचिव अतुल सूद, अक्षय शर्मा, बिट्टू पंडित, राकेश जैन, जतिंदर कपूर व अन्य गण्यमान्यों ने किया।  

इस सत्र की अध्यक्षता डा. एच.एस. रावत, डा. अजय भाम्बी, जी.डी. वशिष्ठ, डा. हरि सिंह रावत, डा. सुरिंदर कपूर, लोकेश धमीजा, गगन पाठक, एडवोकेट वैशाली अत्रे (पूना) ने की। विद्वानों ने देश की वर्तमान स्थिति, केन्द्र सरकार की नीतियों व नववर्ष 2020 में पड़ोसी देशों के साथ बनते-बिगड़ते संबंधों के बारे में विस्तृत चर्चा की।  इस दौरान कई जिज्ञासुओं ने विभिन्न प्रश्नों के माध्यम से अपना पक्ष रखा और उसके निदान के बारे में विचार-विमर्श किया। 
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पंजाब केसरी पत्र समूह के डायरैक्टर अभिजय चोपड़ा ने अखिल भारतीय ज्योतिष मंच द्वारा आयोजित किए जा रहे इस राष्ट्र स्तरीय ज्योतिष सम्मेलन की सफलता की कामना करते हुए कहा कि मुझे इस मंच पर आने का अवसर गत 4 वर्षों से मिल रहा है। हर बार सम्मेलन के आयोजन, संयोजन में कुछ नया देखने को मिलता है। भारतीय संस्कृति की इस अनुपम भेंट का उत्थान कार्य पुरातन व आधुनिकता के सुमेल से अधिकाधिक होना चाहिए। इसके लिए विद्वान ज्योतिष विषय को पूरी तरह समझने के पश्चात ही अनुसंधान का मार्ग अपनाएं। उन्होंने गणना के पश्चात मिले परिणामों के अनुरूप बताए जाने वाले उपायों में पर्यावरण सुरक्षा, गऊ सेवा, परिवार संयोजन, सभी का सम्मान, सुरक्षा, माता-पिता के प्रति आदर व सेवा, असहायों की सहायता, बालिका उत्थान व शिक्षा संबंधी उपायों का अधिकाधिक प्रयोग करने का सुझाव दिया ताकि जहां जातक का भला हो वहीं समाज उत्थान कार्यों में भी सक्रियता बनी रहे। 

उन्होंने अपने जीवन में हुई विभिन्न ज्योतिषीय भविष्यवाणियों के सत्य होने की बात को सहर्ष स्वीकार करते हुए कहा कि इस विद्या के प्रति लोगों में विश्वास बनाए रखने के लिए इसके उपासकों व साधकों को सतत् अध्ययनरत रहना चाहिए। भविष्यवाणियां करने की बजाय अधिकाधिक मनन कर इस पावन विद्या को और अधिक लाभकारी बनाना चाहिए। उन्होंने अपने आसपास, दैनिक कार्यों में विभिन्न ग्रहों की उपस्थिति व उनके प्रभाव की भी चर्चा की। मंच संचालक पं. अक्षय शर्मा ने  विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे विचारों को संक्षेप में परिभाषित करने तथा विभिन्न विषयों पर ज्योतिष जिज्ञासुओं द्वारा किए जा रहे प्रश्नों के निदान में एक अच्छे समन्वयक की भूमिका भी निभाई। उन्होंने कहा कि तर्कसंगत शोध व सटीक गणना से ही ज्योतिष का वर्चस्व बढ़ा है ।  

ज्योतिष उत्थान कार्यों में पंजाब केसरी पत्र समूह का योगदान सराहनीय : पं. राजीव शर्मा
मंच के संस्थापक अध्यक्ष व संचालक पं. राजीव शर्मा ने कहा कि ज्योतिष उत्थान कार्यों में पंजाब केसरी पत्र समूह का वर्ष 1995 से दिया जा रहा सक्रिय योगदान सराहनीय है। उक्त समूह द्वारा ज्योतिष संबंधी विभिन्न भ्रांतियों के निदान के लिए अपने समाचार पत्र में जहां तर्कसंगत ढंग से ज्योतिष विषयों को उभारा वहीं सप्ताह में एक दिन पूरा पृष्ठ ज्योतिष संबंधी लेखों, विभिन्न विद्वानों द्वारा किए जा रहे अनुसंधान कार्यों को प्रकाशित कर ज्योतिष उत्थान कार्यों में सक्रिय योगदान दिया जा रहा है। मंच द्वारा श्री अभिजय चोपड़ा को दोशाला, पगड़ी व गौरव चिन्ह भी भेंट किया गया। 

संयुक्त परिवार, नशा त्यागने, समाज में समरसता भाव के उपायों को अधिमान मिले: गुरप्रीत सिंह भुल्लर
जालंधर के पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने जालंधर की पावन धरती पर ज्योतिषियों, बुद्धिजीवियों के आगमन का स्वागत करते हुए कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि इतने लोगों का सान्निध्य एक ही स्थान पर पंडित राजीव शर्मा के माध्यम से मिला है। उन्होंने ज्योतिष के महत्व व उसके आदर भाव की चर्चा करते हुए सुझाव दिया कि यदि संभव हो तो ज्योतिषीय उपायों में संयुक्त परिवार, नशा त्यागने, समाज में समरसता भाव के उपायों को अधिमान दिया जाए, जिसे सभी विद्वानों ने सहर्ष स्वीकार करते हुए इसे यथासंभव ढंग से लागू करने का आश्वास दिया। 
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स्व. श्रीमती स्वदेश चोपड़ा लाइफ टाइम अवार्ड अनिल वत्स को
स्व. श्रीमती स्वदेश चोपड़ा लाइफ टाइम अवार्ड  दिल्ली के अनिल वत्स को ज्योतिष कार्यों, अनुसंधान कार्यों को मान्यता देते हुए दिया गया। इस दौरान उन्हें आकर्षक गौरव चिन्ह व शुद्ध सोने का स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। 
 

ज्योतिष आध्यात्मिक विज्ञान है। स्वयं को जानने का विधान है। पूर्व जन्मों मे कौन से कर्मों का फल है, जिसे भोगने के लिए यह शरीर मिला है? सूर्य आत्मा है- परिवार में पिता है। चन्द्रमा मन है- परिवार में माता के रूप में है। मंगल साहस है- परिवार में  छोटे भाई -बहन हैं। बुध- बुद्धि है- परिवार में मामा जी है। गुरु- संस्कार व ज्ञान है, हमारे गुरु है। शुक्र- वीर्य व वैभव है- परिवार में पत्नी है। शनि- संघर्ष व तप है, परिवार में नौकर है। राहु व केतु- दुख- सुख, लाभ- हानि व अन्य जातियों के प्रतिनिधि हैं। सभी के साथ प्रेमपूर्वक रहने की कला ही ज्योतिष विज्ञान है।

ज्योतिष सम्पूर्ण रूप से विज्ञान का ही एक रूप है, जिस प्रकार मैडीकल साइंस में रिसर्च के बाद आज मैडीकल साइंस की प्रगति हम सभी जानते हैं। उसी प्रकार ज्योतिष विज्ञान  द्वारा अपने जीवन की असफलताओं और परेशानियों को बिल्कुल वैसे ही जैसे मैडीकल साइंस की तरह से ही ठीक किया जा सकता है। आधुनिक तकनीक व ऐस्ट्रो साईंस के समन्वय को प्रयोग करते हुए आज बड़ी से बड़ी शल्य चिकित्सा ( सर्जरी) जैसे परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं, जिससे अधिकाधिक लोग इस विद्या का लाभ अर्जित कर पा रहे हैं। -आचार्य लोकेश धमीजा (दिल्ली)

ज्योतिष एक विज्ञान है। ज्योतिष मनुष्य की आयु, धन, भाई- बहन, सुख- साधन, सन्तान सुख, रोग,दोष, विवाह, आयु, धर्म, काम,मोक्ष की जानकारी पैदा होते ही देता है। यह विज्ञान आधा कुशलता व गणित पर आधारित होता है तथा इसका हिस्सा अदृश्य है, जोकि ग्रहों की किरणों से संचालित है, जैसे मोबाइल सैट के सिग्नल का उतार-चढ़ाव होता है, उसी प्रकार सूर्य में ग्रहों की गति विभिन्न होने के कारण दिमाग को संचालित करती है, जिस कारण जीवन में उतार-चढ़ाव होता रहता है।  -डा. हरि सिंह रावत, (दिल्ली)

ज्योतिष को वैज्ञानिक भी होना चाहिए, जो नहीं हो रहा। हम सब ग्रहों के फल को शास्त्रों में तो ढूंढ रहे हैं, लेकिन हमें अंतरिक्ष की कोई भी जानकारी नहीं है। किताबें सहयोगी हो सकती हैं, लेकिन खोज तो अंतरिक्ष को जानने से होगी। पराशर ऋषि, जैमिनी ऋषि के पास कोई किताब नहीं थी। उन्होंने आकाश से ग्रह-नक्षत्रों को देखकर, जानकर परख कर शास्त्र लिखें, जो उपयोगी तो हैं, लेकिन यह हमारा अनुभव नहीं है। हमें विज्ञान और शास्त्र दोनों को ही ठीक से जानकर नई खोजें करनी चाहिए । -डा. अजय भाम्बी (दिल्ली)।

ज्योतिष हर व्यक्ति के जीवन से जुड़ा ऐसा सत्य है, जो व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक हर पल उससे जुड़ा रहता है। इस संसार में कोई भी वस्तु सजीव/निर्जीव नहीं है, जो ग्रहों से जुड़ी नहीं है। इसलिए यदि हम बचपन से बच्चों की पढ़ाई, सेहत के बारे में, जवानी में प्यार, नौकरी, बिजनैस, शादी और बुढ़ापे में बच्चों से मिलने वाले सुख, सेहत या बीमारी के बारे में अथवा जीवन से जुड़ी हर चीज के बारे में जानना चाहते हैं, तो ज्योतिष ही एकमात्र ऐसा मार्ग है, जिससे हमें सम्पूर्ण, सटीक जानकारी मिलती है और हमें पूर्ण विश्वास है कि लाल किताब से मिल रही सटीक जानकारी सम्पूर्ण जगत के लिए सदैव हितकारी होगी। -पंडित जी.डी. वशिष्ठ, लाल किताब विशेषज्ञ ।

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