मौसम पर भारी आस्था- अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं का 10 साल का रिकार्ड टूटा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Aug, 2023 09:33 AM

amarnath yatra

इस साल मौसम की तमाम दुश्वारियों के बावजूद श्री अमरनाथ यात्रा का पिछले 10 साल का रिकार्ड टूट गया है । यात्रा के 32 दिन पूरे होने के बाद पवित्र गुफा में यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 4.14 लाख हो गई है

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जम्मू : इस साल मौसम की तमाम दुश्वारियों के बावजूद श्री अमरनाथ यात्रा का पिछले 10 साल का रिकार्ड टूट गया है। यात्रा के 32 दिन पूरे होने के बाद पवित्र गुफा में यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 4.14 लाख हो गई है । 2014 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब यात्रियों का आंकड़ा 4 लाख के पार गया हो। इस से पहले 2014 में यात्रियों की संख्या 3.72 लाख रही थी।

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Year
Number of Yatris who had darshan at Holy Cave
2013 353969
2014 372909
2015 3,52,771
2016 2,20,490
2017 2,60,003
2018 2,85,006
2019 3,42,883

श्री अमरनाथ यात्रा में तीर्थ यात्रियों की संख्या में बढ़ौतरी होने लगी है। गुरुवार को 32वें जत्थे में जम्मू स्थित भगवती नगर यात्री निवास से 1,198 अमरनाथ यात्री पहलगाम और बालटाल के लिए कड़ी सुरक्षा में रवाना हुए। विदित रहे कि गत दिवस जम्मू से 984 तीर्थ यात्री ही पहलगाम और बालटाल के लिए रवाना हुए थे। 

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कुल 43 छोटे-बड़े वाहनों में रवाना हुए जत्थे में 1,084 पुरुष, 116 महिलाएं, एक बच्चा, 40 साधु और 18 साध्वियां शामिल हैं। पहलगाम के लिए 932 और बालटाल आधार शिविर के लिए 266 तीर्थ यात्री रवाना हुए। शाम को ये सभी तीर्थ यात्री पहलगाम और बालटाल आधार शिविरों में पहुंच गए। 

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उल्लेखनीय हैं कि 1 जुलाई से शुरू हुई श्री अमरनाथ यात्रा में अब तक 4.14 लाख के करीब तीर्थ यात्री पवित्र गुफा में विराजमान हिमलिंग के दर्शन कर चुके हैं। 

2019 में जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद यात्रा रद्द कर दी गई थी और उसके बाद यात्रियों की संख्या कम रही थी लेकिन इस बार केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की तैयारी और श्राइन बोर्ड के अच्छे प्रबंधों के चलते यात्रा तेजी से बढ़ी है ।यह यात्रा राखी के दिन तक चलेगी और इस दौरान श्रद्धालुओं की संख्या का नया रिकार्ड बन सकता है।

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अमरनाथ यात्रा को लेकर सदियों से परम्परा चली आ रही है की यह पवित्र यात्रा रक्षा बंधन यानी श्रावण पूर्णिमा वाले दिन छड़ी मुबारक पूजा के साथ समाप्त हो जाती है। यह यात्रा सबसे पहले भृगु ऋषि ने आरंभ की थी। छड़ी मुबारक में दर्शनार्थियों एवं साधु-महात्माओं का एक विशाल समूह हर साल श्रीनगर से रवाना होता है। शैव्य निर्मित दंड भगवान शिव के झंडे के साथ समूह के आगे चलता है।

रक्षाबंधन की पूर्णिमा जो अधिकतर अगस्त के महीने में आती है, उस दिन बाबा अमरनाथ स्वयं श्री पावन अमरनाथ गुफा में पधारते हैं। इसी दिन पवित्र छड़ी मुबारक भी गुफा में बने हिमशिवलिंग के पास स्थापित कर दी जाती है। परम्परा के मुताबिक श्रीनगर के दशनामी अखाड़े में सबसे पहले भूमि पूजन, फिर ध्वजा पूजन करने के बाद छड़ी मुबारक को श्री शंकराचार्य मंदिर और हरि पर्वत पर अवस्थित क्षारिका भवानी मंदिर लेकर जाया जाता है। तत्पश्चात एक बड़े जत्थे के साथ छड़ी मुबारक रवाना होती है। 

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कल्हण रचित ग्रंथ राजतरंगिणी में कहा गया है श्री अमरनाथ यात्रा का प्रचलन ईस्वी से भी एक हजार वर्ष पहले का है। अन्य मान्यता के अनुसार कश्मीर घाटी प्राचीन समय में एक बहुत बड़ी झील थी। जहां सर्पराज नागराज अपने भक्तों को दर्शन दिया करते थे। अपने आश्रयदाता मुनि कश्यप की आज्ञा पर नाग राज ने कुछ मनुष्यों को वहां निवास करने की अनुमति दी थी। मनुष्यों को इस सुंदर धरा पर बसा देख राक्षस भी वहां आकर वास करने लगे। जिससे मनुष्य व नागराज दोनों को समस्या होने लगी। 

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नागराज ने कश्यप ऋषि से इस समस्या को लेकर विचार-विमर्श किया। कश्यप ऋषि अपने साथ अन्य साधु-संतों को लेकर भगवान शिव से प्रार्थना करने गए की उनकी राक्षसों से रक्षा करें। भोले बाबा ने प्रसन्न होकर उन्हें एक चांदी की छड़ी भेंट करी। यह छड़ी अधिकार एवं सुरक्षा की प्रतीक थी। फिर भगवान शिव ने आदेश दिया कि इस छड़ी को उनके निवास स्थान अमरनाथ लेकर जाया जाए। जहां वह स्वयं प्रकट होकर अपने भक्तों को आशीष देंगे। शायद इसी कारणवश महंत आज भी चांदी की छड़ी लेकर यात्रा का नेतृत्व करते हैं। 

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रक्षा बंधन पर पारम्परिक विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ छड़ी मुबारक की पूजा होगी। उसके बाद पवित्र अमरनाथ यात्रा का समापन हो जाएगा। रक्षा बंधन के 2 दिन बाद लिद्दर नदी के किनारे पहलगांव में पूजा एवं विसर्जन की रस्म अदा होगी।  बर्फानी बाबा के भक्त फिर से अगले साल की यात्रा का लंबा इंतजार करेंगे।

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