Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Jul, 2021 11:49 AM
निष्काम भाव से गौ माता की सेवा श्री कृष्ण भक्ति के साथ जुड़ने का सरल मार्ग है।
गरीब-यतीम-बेवा की सेवा करके तो देखें कि लक्ष्मी आप पर
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निष्काम भाव से गौ माता की सेवा श्री कृष्ण भक्ति के साथ जुड़ने का सरल मार्ग है।
गरीब-यतीम-बेवा की सेवा करके तो देखें कि लक्ष्मी आप पर प्रसन्न होकर किस तरह से खुशियों की वर्षा करती है।
बच्चों की खुशी के लिए अपनी सारी पूंजी लुटा देना और फिर खाली होकर उनके सहारे बैठना कोई अक्लमंदी नहीं है।
झूठी शानो-शौकत में परम्परा की आंखों पर पट्टी बांध कर बच्चों के रिश्ते तय न करें।
श्रीमद् भागवत कथा वह त्रिवेणी है जिसमें गोता लगाने से मनुष्य की मलिनता दूर होती है। कलिकाल में इसे औषधि माना गया है।
हमारे माता-पिता जीवित हैं या नहीं, पर वे किसी न किसी रूप में हमसे जुड़े हुुए हैं। वे हमेशा हमें देखते रहते हैं। हमारे मन में उनके प्रति श्रद्धा होनी चाहिए। उन्हें हमारा सब कुछ नजर आता है। उनके पास जो दुआएं और तरंगें हैं उनसे हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है।
जीवन में खुश रहने की आदत बना लें क्योंकि जब हम खुश रहते हैं तो तब हम पहले से ज्यादा सुंदर दिखाई देते हैं। दुख का सामना भी करें क्योंकि जीवन में सुख का मतलब कभी भी दुख को नकारना नहीं हैं।
परिवार में सुख-शांति चाहते हैं तो थोड़े समय के लिए ध्यान जरूर करें। खाते समय वार्तालाप में संयम रखें। आत्मा की शांति के लिए साधना जरूर करनी पड़ेगी। चूर्ण खाने से आत्मा को खुराक नहीं मिलेगी, भजन-सिमरन करोगे सुखी हो जाओगे।
परिवार के हर सदस्य को समझें। समस्याएं खत्म हो जाएंगी। सबको अपने साथ लेकर चलें। किसी को शिकायत का मौका न दें। परिवार के सदस्यों का स्वभाव जानें। एक-दूसरे के साथ दिल खोल कर बातचीत करें।
यदि पृथ्वी पर प्रेम न होता तो सब कुछ व्यर्थ होता। प्रेम अमृत है। विरह मंदराचल पर्वत है।