ध्यान जीवन का सबसे बड़ा आनंद

Edited By ,Updated: 28 May, 2015 09:28 AM

article

साध्यान चेतना की विशुद्ध अवस्था है- जहां कोई विचार नहीं होता, कोई विषय नहीं होता । साधारणतया हमारी चेतना विचारों से, विषयों से, कामनाओं से आच्छादित रहती है जैसे कि कोई दर्पण धूल से ढका हो .....

साध्यान चेतना की विशुद्ध अवस्था है- जहां कोई विचार नहीं होता, कोई  विषय नहीं होता । साधारणतया हमारी चेतना विचारों से, विषयों से, कामनाओं से आच्छादित रहती है जैसे कि कोई दर्पण धूल से ढका हो । हमारा मन एक सतत प्रवाह है-विचार चल रहे हैं, कामनाएं चल रही हैं, पुरानी स्मृतियां सरक रही हैं-रात-दिन एक अनवरत सिलसिला है ।  नींद में भी हमारा मन चलता रहता है, स्वप्न चलते रहते हैं । यह अ-ध्यान की अवस्था है ।

ठीक इससे उलटी अवस्था ध्यान की है । जब कोई विचार नहीं चलते और कोई कामनाएं सिर नहीं उठातीं—वह परिपूर्ण मौन ध्यान है । उसी परिपूर्ण मौन में सत्य का साक्षात्कार होता है । जब मन नहीं होता, तब जो होता है वह ध्यान है । इसलिए मन के माध्यम से कभी ध्यान तक नहीं पहुंचा जा सकता । ध्यान इस बात का बोध है कि मैं मन नहीं हूं । जैसे-जैसे हमारा बोध गहरा होता है, कुछ झलकें मिलनी शुरू होती हैं-मौन की, शांति की ।

जब सब थम जाता है और मन में कुछ भी चलता नहीं उन मौन, शांत क्षणों में ही हमें स्वयं की सत्ता की अनुभूति होती है । धीरे-धीरे एक दिन आता है, एक बड़े सौभाग्य का दिन आता है जब ध्यान हमारी सहज अवस्था  हो जाती है । मन असहज अवस्था है । यह हमारी सहज-स्वाभाविक अवस्था कभी नहीं बन सकती । ध्यान हमारी सहज अवस्था है, लेकिन हमने उसे खो दिया है । हम उस स्वर्ग से बाहर आ गए हैं, लेकिन यह स्वर्ग पुन: पाया जा सकता है ।

किसी बच्चे की आंख में झांकें और वहां आपको अद्भुत मौन दिखेगा, अद्भुत निर्दोषता दिखेगी । हर बच्चा ध्यान के लिए पैदा होता है लेकिन उसे समाज के रंग-ढंग सीखने ही होंगे । उसे विचार करना, तर्क करना, हिसाब-किताब सब सीखना होगा । उसे शब्द, भाषा, व्याकरण सीखना होगा और धीरे-धीरे वह अपनी निर्दोषता, सरलता से दूर हटता जाएगा । उसकी कोरी स्लेट समाज की लिखावट से गंदी होती जाएगी । वह समाज के ढांचे में एक कुशल यंत्र हो जाएगा-एक जीवंत, सहज मनुष्य नहीं ।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!