Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Aug, 2020 07:55 AM
अनादिकाल से गाय का लौकिक और पारमार्थिक क्षेत्र में महत्व रहा है, इसलिए गाय को विश्व की माता के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। ‘गावो विश्वस्य मातर:’ गाय के शरीर में 33 करोड़ देवताओं का
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Bahula chaturthi 2020: अनादिकाल से गाय का लौकिक और पारमार्थिक क्षेत्र में महत्व रहा है, इसलिए गाय को विश्व की माता के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। ‘गावो विश्वस्य मातर:’ गाय के शरीर में 33 करोड़ देवताओं का अधिवास रहता है। गाय परम पूजनीया है। भगवान का धराधाम पर अवतरण गौ रक्षा के लिए होता है। संत प्रवर तुलसी दास ने कहा है कि : विप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुजअवतार।
आसुरी सम्पदा के धनी रावण का आदेश था :
जेहिं जेहिं देस धेनु द्विज पावहु। नगर गांव पुर आग लगावहु॥ शुभ आचरण कतहुं नहिं होई। विप्र धेनु सुर मान न कोई॥
ऐसे विकराल काल में श्रीराम का अवतरण हुआ था। गौ माता का दान महादान माना जाता है। भारत में मनुष्य के परलोक गमन के समय गौदान की परम्परा रही है, ताकि प्रियमान को परमगति प्राप्त हो। गाय की पूंछ को पकड़कर मृतात्मा वैतरणी पार कर सके। गौ धन को बहुत बड़ा धन माना गया है।
गो धन गज धन बाजि धन और रतन धन खानि। जब आवे संतोष धन, सब धन धूरि समान॥
योगेश्वर भगवान कृष्ण को गोपाल कहा जाता है। गोपाल गौ चरण के लिए जाया करते थे। यशोदा माता जब दधि मंथन करती थीं, तो कान्हा मक्खन के लिए आ जाते थे। शुचिता और पावनता के लिए पंचागव्य (दूध, दही, घी, गाय का गोबर और गोमूत्र) का प्रयोग होता है।
राजा दिलीप को गौ सेवा से मनोवांछित फल की प्राप्ति हुई थी। विश्व भूगोल में डेनमार्क देश आज दुग्ध विज्ञान के लिए विख्यात है। डेनमार्क धेनुमार्क से बना है।
वात्सल्य रस वत्स से बना है। वत्स गाय के बछड़े को कहते हैं। पुत्र को भी इसीलिए वत्स कहा जाता है। गो वत्स को धर्म का रूप माना जाता है। वृषभोधर्म रूप सर्वशास्त्रमयी गीता, सर्ववेदमयी गीता के महात्म्य में आता है कि समस्त उपनिषद गाएं हैं और उन गायों को दुहने वाले भगवान कृष्ण हैं। अर्जुन बछड़ा हैं, जो गाय को (पिन्हवा) देते हैं और (पिन्हवा) गीता रूपी दुग्धामृत को पान करने वाले सुधी श्रेष्ठ भक्त जन हैं :
सर्वोपनिषद: गावो दोग्धा गोपाल नंदन:। पार्थो वत्स सुभीर्भोक्ता दुग्धं गीतामृतं महत॥
भारत में किसी पर्व के अवसर पर यदि कोई स्वजन मर जाता था तो पर्व नहीं मनाया जाता था लेकिन उस गमी के पर्व पर गाय बछड़े को जन्म दे देती थी तो पर्व सोल्लास मनाया जाने लगता था।
यदि विश्व में समृद्धि और शांति स्थापित करनी है तो गोवध पर प्रतिबंध लगना चाहिए। कृषि कार्य में गौवंश के प्रयोग को अधिकाधिक महत्व देना चाहिए इससे सर्वे भवन्तु सुखिन: का मार्ग प्रशस्त होगा। स्वर्णयुग का पुनरागमन होगा। गोस्वामी तुलसी दास ने कहा है :
श्याम सुरभि पय विसद अति गुनद करहि जेहि पान। गिरा ग्राम्य सिय राम यश गावहिं सुनहिं सुजान॥