Edited By Niyati Bhandari, Updated: 17 Nov, 2021 08:40 AM

हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर ''''वैकुंठ चतुर्दशी'''' मनाए जाने का विधान है। 2020 में वैकुंठ चतुर्दशी 28 नवंबर यानि आज है। इस दिन भगवान शिव और श्री हरि का मिलन होता है
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Baikunth chaturdashi 2021: हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर ''वैकुंठ चतुर्दशी'' मनाए जाने का विधान है। 2021 में वैकुंठ चतुर्दशी 17 नवंबर यानि आज है। इस दिन भगवान शिव और श्री हरि का मिलन होता है शायद इसलिए इस दिन को हरिहर का मिलन भी कहा जाता है। जो लोग संसार के सुख-सुविधाएं भोग कर मरने के बाद वैकुंठ जाना चाहते हैं आज उन्हें श्री हरि और हर यानि भोलेनाथ की कमल के फूलों से पूजा करनी चाहिए। इस कथा का श्रवन जरुर करें।

Vaikunth Chaturdashi katha वैकुण्ठ चतुर्दशी की कथा
नारद जी वीणा बजाते हुए नारायण-नारायण बोलते हुए बैकुंठ धाम पंहुचते हैं। भगवान श्री हरि विष्णु उनको सम्मानपूर्वक आसन देते हैं और आने का कारण पूछते हैं।
नारद जी कहते हैं, "हे प्रभु! मैं पृथ्वी लोक से आ रहा हूं। आपका नाम कृपानिधान है, इस नाम को लेने वाला भवसागर से पार पाता है लेकिन सामान्य नर-नारी कैसे भक्ति कर मुक्ति पा सकते हैं।"
श्री हरि ने कहा," कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी वैकुण्ठ चतुर्दशी के नाम से जानी जाएगी। इस दिन जो कोई नियम से व्रत और पूजन करेगा, उनके लिए स्वर्ग के द्वार सदा खुले रहेंगे। मरणोपरांत वह बैकुंठ धाम को प्राप्त करेगा।
उन्होंने अपने द्वारपाल जय-विजय को आदेश देते हुए कहा कार्तिक चतुर्दशी को स्वर्ग के द्वार खुले रहेंगे।

Vaikunth Chaturdashi shubh muhurat: बैकुंठ चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि का आरंभ 17 नवंबर, बुधवार के दिन सुबह 09 बजकर 50 मिनट से होगा और 18 नवंबर, गुरुवार की दोपहर 12 बजे चतुर्थी तिथि समाप्त होगी।