अंग्रेजों के फरमान से नाराज होकर बंकिमचंद्र चटर्जी ने लिखा था ‘वंदे मातरम्’

Edited By Updated: 28 Jun, 2024 10:39 AM

bankim chandra chatterjee

बंकिमचंद्र चटर्जी उपन्यासकार, कवि और पत्रकार थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को धार देने के लिए संस्कृत भाषा में वंदे मातरम् गीत की रचना की थी।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

बंकिमचंद्र चटर्जी उपन्यासकार, कवि और पत्रकार थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को धार देने के लिए संस्कृत भाषा में वंदे मातरम् गीत की रचना की थी। इस गीत में भारत को देवी के रूप में दिखाया गया है। यही गीत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रांतिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था और बाद में यही गीत आजाद भारत का राष्ट्रीय गीत बना।

PunjabKesari Bankim Chandra Chatterjee

बंकिमचंद्र ब्रिटिश राज के दौरान जब सरकारी नौकरी में थे। ब्रिटिश सरकार ने फरमान सुनाया कि भारत में ‘गॉड! सेव द क्वीन’ गीत को हर सरकारी समारोह में गाना अनिवार्य होगा। यह बात बंकिमचंद्र को चुभ गई। वह अंग्रेजों के इस तुगलकी फरमान से काफी नाराज थे। उन्होंने भारत के गुणगान करने वाला गीत लिखने का फैसला किया।

इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने साल 1876 में ‘वन्दे मातरम्’ गीत की रचना की। इस गीत ने आजादी की लड़ाई में बड़ी भूमिका निभाई। देश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह क्रांतिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था। 1882 का देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत ‘आनंदमठ’ राजनीतिक उपन्यास है जिसमें उत्तर बंगाल में 1773 के संन्यासी विद्रोह का वर्णन किया गया है। इसी उपन्यास के लिए उन्होंने प्रसिद्ध गीत ‘वंदे मातरम्’ लिखा था।
 
‘वंदे मातरम्’ स्वदेशी आंदोलन के दौरान प्रसिद्ध हुआ, जिसे लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल को हिंदू बहुमत वाले पश्चिम और मुस्लिम बहुमत वाले पूर्व में विभाजित करने के प्रयास द्वारा उछाला गया था। बंगाली हिंदुओं की शक्ति परंपरा से आकर्षित होकर, बंकिमचंद्र ने इस गीत को हिंदू स्वरूप दिया। उन्होंने धर्म, सामाजिक और समसामायिक मुद्दों पर आधारित कई निबंध भी लिखे।

PunjabKesari  Bankim Chandra Chatterjee
सरकारी नौकरी में रहते हुए भी बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने अपने लेखन से देश में राष्ट्रवाद की अलख जगाई। एक ओर विदेशी सरकार की सेवा और देश के नवजागरण के लिए उच्च कोटि के साहित्य की रचना करने जैसा दुरूह कार्य उनके लिए ही संभव था।

उनका जन्म 26 जून (कहीं 27 जून), 1838 को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में नैहाटी शहर के कांठलपाड़ा नामक गांव में एक समृद्ध परम्परागत बंगाली परिवार में हुआ था। वह यादव चंद्र चट्टोपाध्याय और दुर्गा देवी के तीन बेटों में सबसे छोटे थे। मेदिनीपुर में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद बंकिम चंद्र चटर्जी ने हुगली के मोहसीन कालेज में दाखिला लिया।

किताबों के प्रति बंकिमचंद्र चटर्जी की रुचि बचपन से ही थी और उन्हें अपनी मातृभाषा से बहुत लगाव था। एक मेधावी व मेहनती छात्र होने के साथ-साथ उनकी खेल-कूद में भी बहुत रुचि थी। प्रैसीडैंसी कालेज से बी.ए. की उपाधि लेने वाले वह पहले भारतीय थे। 1869 में उन्होंने लॉ की डिग्री प्राप्त की और शिक्षा समाप्ति के तुरंत बाद डिप्टी मैजिस्ट्रेट पद पर इनकी नियुक्ति हो गई और बाद में डिप्टी कलैक्टर बन गए। 1891 में, वह सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हुए। ‘रोजमोहन्स वाइफ’, ‘दुर्गेश नंदिनी’ उनके कुछ प्रमुख उपन्यास थे।  

PunjabKesari Bankim Chandra Chatterjee

Related Story

    IPL
    Royal Challengers Bengaluru

    190/9

    20.0

    Punjab Kings

    184/7

    20.0

    Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

    RR 9.50
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!