जानिए बरगद के पेड़ से जुड़ी खास जानकारी

Edited By Jyoti,Updated: 16 Dec, 2021 05:58 PM

banyan tree benefits

हमारे धार्मिक शास्त्रों में देवी-देवताओं के बारे में तो वर्णन किया ही गया है, इसके अलावा इसमें पेड़ और पौधों के बारे में खूब वर्णन मिलता है। तो वहीं वास्तु शास्त्र में भी बताया गया है कि घर को पेड़

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हमारे धार्मिक शास्त्रों में देवी-देवताओं के बारे में तो वर्णन किया ही गया है, इसके अलावा इसमें पेड़ और पौधों के बारे में खूब वर्णन मिलता है। तो वहीं वास्तु शास्त्र में भी बताया गया है कि घर को पेड़-पौधों से सजाने से वहां रहने वाले लोगों के जीवन पर शुभ प्रभाव पड़ता है। तो आइए जानते हैं बरगद का पेड़ और नन्हे पेड़ बोन्साई से जुड़ी खास जानकारी। 

बरगद का पेड़ इतना बड़ा कैसे हो जाता है?
बरगद का पेड़ भारत तथा श्रीलंका में उगता है। बरगद के पेड़ के बीज आमतौर पर पक्षियों द्वारा अन्य पेड़ों के ऊपर गिरा दिए जाते हैं। जब बीज ‘उगना’ शुरू करता है तो यह अपनी जड़ें हवा से नीचे जमीन तक पहुंचा देता है। काड़ें बढऩी शुरू हो जाती हैं और उनमें से सहारे के लिए जड़़ें फूट पड़ती हैं। ये धरती तक पहुंच कर नए पेड़ के तने का रूप ले लेती हैं। इनकी और जड़ें नीचे की ओर बढ़ती हैं और यह सिलसिला चलता रहता है। कुछ समय बाद यह पेड़ जिसने बरगद को सहारा दिया होता है, मर जाता है। श्रीलंका में एक ऐसा पेड़ है जिसके बारे में कहा जाता है कि उसके 350 विशाल तथा 3000 से भी अधिक छोटे तने हैं। बरगद का पेड़ इधर-उधर बिखराए गए बीजों से जड़ें नीचे की ओर भेजता है, जिससे ‘अभिभावक पेड़’ के गिर्द उसके तनों का एक छोटा जंगल-सा बन जाता है।

नन्हे पेड़ बोन्साई
बोन्साई एक छोटे पौधे की तरह किसी पात्र में उगाया गया पेड़ होता है।  इसको विशेष तरह से विकसित किया जाता है ताकि यह एक बड़े पूर्ण आकार के पेड़ का ही लघु रूप दिखाई दे। अधिकांश बोन्साई जापान में पैदा होते हैं लेकिन ये पेड़ विश्व भर में बेचे जाते हैं। एक बोन्साई गार्डन में बोन्साई पेड़ को कांट-छांट करके आकृति दी जाती है तथा तारों की सहायता से बांधा जाता है ताकि सारी उम्र यह एक ‘बौना’ बना रहे। बोन्साई पेड़ों को कम गहरे पात्र में बोया जाता है तथा उन्हें पौधों के लिए आवश्यक भोजन की आपूर्ति बहुत कम मात्रा में की जाती है। छोटे पौधों की ही टहनियों तथा जड़ों की कांट-छांट की जाती है। टहनियों को तारों की सहायता से झुकाया तथा मोड़ा जाता है ताकि वयस्क पेड़ 50 सैंटीमीटर से अधिक लम्बा न हो। पूरी तरह विकसित पेड़ एक बड़ी उम्र के गांठदार पेड़ की तरह दिखाई देता है।

बता दें कि वास्तु शास्त्री बताते हैं कि यदि पेड़-पौधों को दिशाओं के अनुरूप सही स्थान दिया जाए तो ये चमत्कारिक लाभ प्रदान करते हैं। इसलिए इन्हें हमेशा सही स्थान पर लगाना चाहिए। वास्तु के अनुसार घर के बगीचे या बालकनी में उत्तर-पूर्व एवं पूर्व दिशा में छोटे पौधे जैसे तुलसी, गेंदा, लिली, केला, आंबला, हरीदूब, पुदीना, हल्दी आदि लगाने चाहिए।

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