Edited By Prachi Sharma,Updated: 14 Dec, 2023 12:34 PM
देश भर में कॉरपोरेट हब के नाम से मशहूर गुरुग्राम अपनी एक और अमूल्य धरोहर गौस अली शाह की बावली के लिए मशहूर है। गुरुग्राम की खूबसूरती में चार चांद लगाती
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Baoli Ghaus Ali Shah: देश भर में कॉरपोरेट हब के नाम से मशहूर गुरुग्राम अपनी एक और अमूल्य धरोहर गौस अली शाह की बावली के लिए मशहूर है। गुरुग्राम की खूबसूरती में चार चांद लगाती यह बावली झज्जर रोड पर फार्रुखनगर नामक गांव में स्थित है। इसका इतिहास मुगल बादशाह फर्रुख सियर से जुड़ता है। उन्हीं के शासनकाल में यहां के स्थानीय अधिकारी, गौस अली शाह ने इस बावली का निर्माण कराया था, अत: इसे इनके नाम से जाना जाता है।
हालांकि, शहर में शीश महल और फर्रुखनगर किले समेत कुछ और पर्यटन स्थल भी हैं परन्तु यह बावली यहां का मुख्य आकर्षण केन्द्र है। इसका निर्माण अष्टभुज के आकार में किया गया है। बावली में जमीनी स्तर से नीचे 3 मंकिालों का निर्माण किया गया है। सबसे निचली मंकिाल के मध्य में जल का कुंड स्थित है। इस कुंड के चारों तरफ, ऊपरी मंकिालों पर खूबसूरत आर्च वाले बरामदे बनाए गए हैं।
ये बरामदे देखने में तुर्की शैली के हमाम जैसे लगते हैं। इस बावली का निर्माण 18वीं शताब्दी में लोगों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर करवाया गया था। इसके स्वरूप को देख कर यह कहा जा सकता है कि यह बावली केवल नगरीय जलापूर्ति नहीं करती थी बल्कि लोगों के दैनिक जीवन में मेलजोल वाले स्थल के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी। कुंड के ऊपर वाली मंजिलों पर जो बरामदे बनाए गए हैं, वे इस तरह से ही बनाए गए हैं ताकि लोग वहां रुक कर विश्राम कर पाएं और जल की ठंडक में सामाजिक कार्यक्रम भी अच्छे से पूर्ण हो पाएं। ऐसा माना जाता है कि केवल आम लोग ही नहीं बल्कि रानियां व राज परिवार की अन्य महिलाएं भी यहां मनोरंजन हेतु आया करती थीं। इसकी देखभाल अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग कर रहा है जिसका परिणाम इसकी बदली हुई रंगत में साफ दिखाई देता है। पुरातत्व विभाग ने कई वर्षों से वीरान पड़ी इस बावली का सौन्दर्यीकरण कर के इसे नया और बेहतर स्वरूप प्रदान किया है।
आज के समय की विडंबना यही है कि हम कॉरपोरेट हब और यहां स्थित कम्पनियों के बारे में तो जानते हैं लेकिन यहीं पास में स्थित इस बहुमूल्य ऐतिहासिक जल संरक्षण वाली धरोहर से अनभिज्ञ हैं। आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि अधिकांश लोगों के इस लापरवाह रवैये के बावजूद भी यह बावली अब लोगों के बीच अपनी पहचान बना रही है।
अब यह बावली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के फोटो वॉक्स, हेरिटेज वॉक्स और फोटोशूट के लिए नया स्पॉट बनती जा रही है, जिस कारण युवाओं का ध्यान प्राचीन भारतीय जल संरक्षण परम्परा की ओर आकर्षित हो रहा है। तो अगली बार गुरुग्राम जाएं और ऊंची इमारतों के बीच कैद महसूस करें तो यह बावली घूमने जरूर जाएं।