Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Jul, 2025 03:48 PM

Sawan 2025: सावन कृपा संकेंद्रण का महीना है सावन। श्रावण में जो भी पूजा, जप, व्रत या साधना की जाती है। वह अकेले नहीं, बल्कि शिव की समग्र कृपा से पोषित होती है। यह मास कृपा संचय मास भी है यानी इसमें किया गया हर जप, आने वाले कठिन समय में आपके लिए...
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Sawan 2025: सावन कृपा संकेंद्रण का महीना है सावन। श्रावण में जो भी पूजा, जप, व्रत या साधना की जाती है। वह अकेले नहीं, बल्कि शिव की समग्र कृपा से पोषित होती है। यह मास कृपा संचय मास भी है यानी इसमें किया गया हर जप, आने वाले कठिन समय में आपके लिए आत्मिक सुरक्षा कवच बनाता है। यूं तो साल का हर एक महीना, दिन, सप्ताह भोले बाबा की पूजा करने के लिए शुभ होता है लेकिन महादेव के भक्तों को खासतौर पर सावन के महीने का इंतजार होता है। यह महीना देवों के देव महादेव को बहुत प्रिय है। सावन का महीना इस साल 6 जुलाई से आरंभ हो रहा है, 9 अगस्त को पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा। अगर इस समय में दुनिया का मोह त्याग कर भगवान शिव की पूजा कर ली जाए तो जीवन में हमेशा खुशियां बरकरार रहती हैं। इस समय सुख-दुख, हानि-लाभ सब भगवान शिव के अधीन होते हैं। गिरिजापति कभी भी अपने उपासकों को दुखी नहीं देख सकते इसलिए भगवान भक्तों की सारी चिंताओं को हर लेते हैं। अगर आप भी चाहते हो कि भोलेनाथ आपकी सारी परेशानियां दूर करें तो सावन में सच्चे मन के साथ महाकाल के प्रिय माह में उनकी उपासना करना शुरू कर दें।

Significance of Sawan month सावन महीने का महत्व
भोलेनाथ के लिए ये माह बहुत ही खास होता है। कहा जाता है इसी माह में ही ऋषि मार्कण्डेय में लंबी आयु प्राप्त करने के लिए घोर तप किया था।
मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में भगवान शिव पृथ्वी पर अवतरित होकर अपने ससुराल गए थे। कहते हैं कि हर वर्ष इसी माह में महादेव अपने ससुराल जाते हैं। इस वजह से शिव शंभू की कृपा प्राप्त करने के लिए ये सुनहरा अवसर होता है।
इसके अलावा सावन महीने में ही समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने हलाहल विष को पिया था। इस वजह से महादेव का कंठ नीला पड़ गया था। तब इसके प्रभाव को कम करने के लिए देवी-देवताओं ने शिव जी को जल अर्पित किया इसलिए सावन के महीने में अभिषेक का विशेष महत्व होता है।

Please Mahadev by worshiping with these things during Sawan Monday सावन सोमवार के दौरान इन चीजों के साथ पूजा करके महादेव को करें प्रसन्न- बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ती, शहद, पंचामृत, सुपारी, कच्चा दूध, गंगा जल, चीनी, मिश्री, शक्कर, फल और सफेद चंदन।
