Edited By Jyoti,Updated: 03 Jun, 2021 04:04 PM
सनातन धर्म में आने वाले हर व्रत का अपना अधिक महत्व है। इन्हीं तमाम व्रतों में से एक है मां भद्रकाली का व्रत। हिंदी पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष
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सनातन धर्म में आने वाले हर व्रत का अपना अधिक महत्व है। इन्हीं तमाम व्रतों में से एक है मां भद्रकाली का व्रत। हिंदी पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मां भद्रकाली का प्राक्ट्य दिवस मनायाा जाता है। कथाओं के अनुसार मां भद्रकारी इसी दिन शिव जी के बालों से प्रकट हुई थी, जिस कारण इसे भद्रकाली एकादशी भी कहा जाता है। कहा जाता है भद्रकाली के प्राक्ट्य का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी के राक्षसों का संहार करना था।
अन्य ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इस दिन अपरा-अचला एकादशी के अलावा जलक्रीड़ा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर प्रत्येक एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है परंतु इस दिन मां भद्रकाली की भी पूजा की जाती है तथा व्रत आदि रखा जाता है। जिससे व्यक्ति को जीवन में किए गए पापों से मुक्ति मिलती हैै। इसके अलावा इस व्रत को करने से प्रेत बाधाओं से भी राहत मिलती है तथा धन-धान्य की कमी दूर होती है। इसके अतिरिक्त अपरा एकादशी के दिन भद्रकाली माता, भगवान विष्णु के साथ-साथ इनके वामन अवतार की अर्चना की जाती है।
यहां जानें भद्रकाली माता के कुछ मंत्र-
ॐ खड्गं चक्रगदेषुचापपरिघात्र्छूलं भुशुण्डीं शिर:
शङ्खं संदधतीं करैस्त्रिनयनां सर्वांगभूषावृताम्।
नीलाश्म धुतिमास्यपाददशकां सेवे महाकालिकां
यामस्तौव्स्वपिते ह्वरौ कमलजो हन्तुं मधुंकैटभम्।।
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।
इसके अलावा जानें अपरा एकादशी का शुभ मुहूर्त-
अपरा एकादशी तिथि प्रारंभ- 05 जून 2021 को शाम 04 बजकर 07 मिनट से
अपरा एकादशी तिथि का समापन- जून 06, 2021 को सुबह 06 बजकर 19 मिनट पर
अपरा एकादशी व्रत पारण मुहूर्त- 07 जून 2021 को सुबह 05 बजकर 12 से सुबह 07:59 तक