Edited By Jyoti,Updated: 16 Mar, 2021 04:04 PM
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में बहुत सी महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताया गया है। इन्हें किसी एक के नहीं बल्कि विभिन्न विषयों का ज्ञाता माना जाता है।
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आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में बहुत सी महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताया गया है। इन्हें किसी एक के नहीं बल्कि विभिन्न विषयों का ज्ञाता माना जाता है। इन्होंने नीति सूत्र में मनुष्य जीवन के लगभग सभी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बताया है, जिनमें से आज हम आपको बताने वाले हैं एक ऐसी चागक्य नीति। इस नीति में आचार्य चाणक्य मनुष्य के जीवन में श्रेष्ठता रखने वाली चीज़ों के बारे में वर्णन किया है।
आज कल की बात करें तो प्रत्येक मनुष्य के जीवन अलग-अलग चीज़ें मायने रखती हैं। खासतौर पर अगर यंग जनरेशन की बात हो तो, उन्हें मोबाइल, टीवी, कंम्पूट आदि के अधिकतर शौकीन है जिस कारण उनकी प्राथमिकता भी यही सब चीज़ें बन चुकी हैं। मगर क्या सही है? जी नहीं, हमारे शास्त्रों में बाखूबी बताया गया है कि संपूर्ण सृष्टि की वो कौन सी चीज़ें हैं जो सर्वश्रेष्ठ हैं। इन्हीं चीज़ों का चाणक्य ने भी वर्णन किया है। तो आइए जानते हैं कौन सी वे चीज़ें-
अन्नदान
आचार्य चाणक्य के अनुसार पूरे ब्रह्मांड में अन्न दान से बड़ा कोई दान नहीं है। चाणक्य कहते हैं किसी भूखे व्यक्ति को भोजन करवाना सबसे बड़ा पुण्य होता है। धार्मिक ग्रंथों में भी अन्न दान का अधिक महत्व बताया गया है। इसमें कहा गया है कि प्रत्येक मनुष्य को अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंद लोगों को अन्न का दान ज़रूर करना चाहिए।
द्वादशी तिथि
चाणक्य बताते है कि समस्त तिथियों में सबसे श्रेष्ठ द्वादशी तिथि को माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार व्यक्ति पूरे दिन निर्जला रहकर एकादशी का व्रत करते हैं और उसके अगले दिन द्वादशी तिथि पर व्रत का पारण करते हैं।
गायत्री मंत्र
यूं को धार्मिक ग्रंथों व पुराणों में कई मंत्रों का वर्णन किया गया है। परंतु बताया जाता है कि सृष्टि और समस्त ब्रह्मांड में सभी मंत्रों में से श्रेष्ठ गायत्री मंत्र है। यह मंत्र देवी गायत्री को समर्पित हैं, जो चारों वेदों ऋग्वेद, यजुर्वेद अथर्वेद और सामवेद की जननी हैं तथा इन्हीं से ही चारों वेदों की उत्पत्ति हुई है।
मां
चाणक्य कहते हैं इस पूरी सृष्टि तथा पूरे ब्रह्मांड में मां से बढ़कर और कुछ नहीं है। मां से ही हमें इस पृथ्वी पर लाती है, जिस कारण सदैव मां की सेवा में तत्पर रहना चाहिए। चाणक्य तथा समस्त धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जो व्यक्ति अपनी मां का सम्मान करता है, उसकी आज्ञा का पालन करता है, उसे अपने जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।