हैरत में डाल देंगे इन मंदिरों से जुड़े रहस्य!

Edited By Jyoti,Updated: 26 Jul, 2022 11:56 AM

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हमारे देश में बहुत से ऐसे मंदिर हैं जिनसे जु़ड़े रहस्य इतने हैरानजनक व लाजवाब होते हैं कि उन्हें सुनने व जानने वाला हैरत में पढ़ जाता है। अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम आपको कई ऐसे मंदिरों के बारे में बता चुके हैं। इसी कड़ी

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हमारे देश में बहुत से ऐसे मंदिर हैं जिनसे जु़ड़े रहस्य इतने हैरानजनक व लाजवाब होते हैं कि उन्हें सुनने व जानने वाला हैरत में पढ़ जाता है। अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम आपको कई ऐसे मंदिरों के बारे में बता चुके हैं। इसी कड़ी में आज एक बार फिर हम आपको ऐसे ही कुछ मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं। जिनसे जुड़े रहस्य आपको हैरत में डाल देंगे।

‘25 हजार चूहों’ वाला करणी माता मंदिर
राजस्थान के बीकानेर से करीब 30 किलोमीटर दूर देशनोक में स्थित करणी माता मंदिर में करीब 25 हजार चूहे हैं। इन काले चूहों को माता की संतान माना जाता है। मंदिर को चूहों वाली माता, चूहों का मंदिर और मूषक मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर चूहों को ‘काबा’ कहा जाता है। मंदिर में पैरों को ऊपर उठाने के बजाय घसीटकर चलना होता है ताकि कोई ‘काबा’ पैर के नीचे न आ जाए। मां करणी को जगदम्बा माता का अवतार माना जाता है। कहा जाता है कि इनका जन्म 1387 में एक चारण परिवार में हुआ था और इनके बचपन का नाम रिघुबाई था। इनका विवाह साठिका गांव के किपोजी चारण से हुआ था लेकिन सांसारिक जीवन में मन ऊबने के बाद उन्होंने किपोजी चारण की शादी अपनी छोटी बहन गुलाब से करवा दी थी। इसके बाद खुद माता की भक्ति और लोगों की सेवा में लीन हो गई थीं। कहते हैं कि वह 151 सालों तक जीवित रही थीं।
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‘एकलिंगजी’ मंदिर 
उदयपुर एक बेहतरीन पर्यटन स्थल है, जिसे हर कोई झीलों के शहर के रूप में भी जानता है। चारों ओर से सुंदर अरावली की पहाड़ियों से घिरा यह शहर कई ऐतिहासिक भवन, महल, किलों और प्रसिद्ध मंदिरों के लिए भी जाना जाता है। शहर में मौजूद एकलिंगजी मंदिर यहां के सबसे बड़े और पवित्र मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि इसका निर्माण लगभग 734 ई. में बाप्पा रावल द्वारा करवाया गया था। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर चार-मुखी मूर्ति के चलते भी प्रसिद्ध है। मंदिर के मध्य में काले संगमरमर से बनी एकलिंगजी की मूर्ति अनूठी है। स्थानीय लोगों का मानना है कि एकलिंगजी मंदिर मेवाड़ शासकों के देवता रहे हैं। कई लोगों का यह भी मानना है कि 15वीं शताब्दी के दौरान इस मंदिर को लूटने के लिए कई बार आक्रमण भी हुए जिसके बाद मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था। मंदिर जिसे एकलिंगजीनाथ के मंदिर नाम से भी जाना जाता है, की वास्तुकला बेहद अद्भुत है। 2 मंजिला इस मंदिर को पिरामिड स्टाइल छत के साथ बनाया गया है। मंदिर की दीवारों पर भी एक से एक बेहतरीन चित्र मौजूद हैं।
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किराडू मंदिर जहां शाम को जाने की है मनाही
बाड़मेर से 30 किलोमीटर दूर एक छोटा-सा गांव है किराडू। गांव का नाम यहां स्थित मंदिर के नाम पर पड़ा है। कहते हैं कि 11वीं शताब्दी में किराड़ू परमार वंश की राजधानी हुआ करता था लेकिन आज यहां चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ है। किंवदंतियों में ऐसा उल्लेख है कि बाड़मेर का यह ऐतिहासिक मंदिर श्रापित है। ग्रामीणों के अनुसार मंदिर के बाहर एक बड़ा-सा पत्थर दरअसल एक कुम्हारिन है जो एक ऋषि के श्राप के कारण पत्थर बन गई। मंदिर में शाम होते ही सन्नाटा पसर जाता है। कहते हैं जो भी शाम के बाद यहां रुकता है वह पत्थर बन जाता है। किराड़ू में कुल 5 मंदिर हैं, जिनमें से आज केवल भगवान विष्णु और सोमेश्वर जी के मंदिर ही सही हालत में हैं। इन सभी मंदिरों में से सोमेश्वर मंदिर सबसे बड़ा है।
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