Edited By Jyoti,Updated: 13 Sep, 2020 03:39 PM
आज पितृ पक्ष की एकादशी तिथि है जिसका हिंदू धर्म में अधिक महत्व है। कहा जाता है इस दिन श्री हरि के शालिग्राम रूप की पूजा तो होती है साथ ही साथ
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आज पितृ पक्ष की एकादशी तिथि है जिसका हिंदू धर्म में अधिक महत्व है। कहा जाता है इस दिन श्री हरि के शालिग्राम रूप की पूजा तो होती है साथ ही साथ इस दिन पितरों का तर्पण भी किया जाता है। बल्कि मान्यता ये है कि जो भी व्यक्ति इस दिन अपेन पूर्वजों की शांति के लिए पिंडदान आदि कार्य करता है, इस कर्म से वो उन्हें तो मोक्ष दिलवाता है बल्कि खुद के लिए भी मोक्ष के द्वार खोल लेता है। मगर कुछ लोग भगवान क कृपा पाने के लिए जाने-अनजाने में कुछ ऐसे भी कार्य करते हैं जिससे उनकी पूजा अधूरी ही रह जाती है और वे पूजा के फल से वंचित ही रह जाते हैं। तो आपको बता दें अपने इस आर्टिकल में हम आपको इसी बारे में बताने वाले हैं कि जाने अनजाने में अगर कभी किसी प्रकार की भूल हो जाए तो कैसे भगवान की कृपा पा सकते हैं।
मान्यताओं के अनुसार सनातन धर्म की पूजा पाठ में कई तरह के नियमों आदि का ध्यान रखना आवश्यक होता है। इनमें से कुछ नियम बहुत कठिन होते हैं, जिस कारण व्यक्ति इनको अपना नहीं पाता तो वहीं कुछ लोग अधिक नियम होने के कारण कुछ नियमों पर ध्यान नहीं पाते, जिसके चलते पूजा का फल नहीं मिलता। जो व्यक्ति की निराशा का कारण बन जाता है।
आपको जानकर खुशी होगी कि ज्योतिष शास्त्र में आपकी इस निराश को दूर करने का उपाय वर्णित है। जी हां, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूजा के दौरान जाने-अनजाने में हुए गलतियां के दुषप्रभाव से बचने के लिए जातक को निम्न मंत्र का जप करना चाहिए।
बता दें शास्त्रों में इस मंत्र को क्षमायाचना मंत्र के नाम से जाना जाता है। जो इस लिए जपा जाता है कि अगर जातक से जाने अनजाने कोई भूल हो जाए तो इस मंत्र का उच्चारण कर भगवान से अपने द्वारा की पूजा में हुई गलतियां की क्षमा मांगी जाती है।
क्षमायाचना मंत्र-
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्.
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन.
यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे॥
क्या है इस मंत्र का अर्थ
धार्मिक शास्त्रों में इस मंत्र का अर्थ बताय गया है, हे! ईश्वर मैं आपका “आवाह्न” अर्थात् आपको बुलाना नहीं जानता हूं न विसर्जनम् अर्थात् न ही आपको विदा करना जानता हूं मुझे आपकी पूजा भी करनी नहीं आती।
कृप्या करके मुझे क्षमा करें। न मुझे मंत्र का ज्ञान है न ही क्रिया का, मैं तो आपकी भक्ति करना भी नहीं जानता. यथा संभव पूजा कर रहा हूं, कृपा करके मेरी भूल को क्षमा कर दें और पूजा को पूर्णता प्रदान करें. मैं भक्त हूं मुझसे गलती हो सकती है, हे ईश्वर मुझे क्षमा कर दें. मेरे अहंकार को दूर कर दें. मैं आपकी शरण में हूं।