Harshnath Temple: इस मंदिर में भगवान शिव को हर्षनाथ रूप में पूजा जाता है, पढ़ें अद्भुत मंदिर का इतिहास

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Mar, 2024 11:30 AM

harshnath temple

राजस्थान के शेखावाटी के हृदयस्थल सीकर नगर से 16 किलोमीटर दूर दक्षिण में हर्ष पर्वत स्थित है जो अरावली पर्वत शृंखला का एक भाग है। यह पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक व पुरातत्व की दृष्टि से प्रसिद्ध,

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Harshnath Temple: राजस्थान के शेखावाटी के हृदयस्थल सीकर नगर से 16 किलोमीटर दूर दक्षिण में हर्ष पर्वत स्थित है जो अरावली पर्वत शृंखला का एक भाग है। यह पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक व पुरातत्व की दृष्टि से प्रसिद्ध, सुरम्य एवं रमणीक प्राकृतिक स्थल है। हर्ष पर्वत की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 3,100 फुट है जो राजस्थान के सर्वोच्च स्थान आबू पर्वत से कुछ कम है।

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Harshnath Temple story पौराणिक कथा
इस पर्वत का नाम हर्ष एक पौराणिक घटना के कारण पड़ा। यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि दुर्दांत राक्षसों ने स्वर्ग से इंद्र व अन्य देवताओं को बाहर निकाल दिया था। भगवान शिव ने इस पर्वत पर इन राक्षसों का संहार किया था। इससे देवताओं में अपार हर्ष हुआ और उन्होंने शंकर की आराधना व स्तुति की। इस प्रकार इस पहाड़ को हर्ष पर्वत एवं भगवान शंकर को हर्षनाथ कहा जाने लगा। एक पौराणिक दंतकथा के अनुसार हर्ष को जीणमाता का भाई माना गया है।

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History of the temple Harshnath Temple मंदिर का इतिहास
हर्ष पर्वत पर (973 ई.) के शिलालेख की भाषा संस्कृति और लिपि विकसित देवनागरी है। इसमें हर्षिगरी, हर्षनगरी तथा हर्षनाथ का भी विवरण दिया गया है। यह बताता है कि हर्ष नगरी व हर्षनाथ मंदिर की स्थापना संवत 1018 में चौहान राजा सिंहराज  द्वारा की गई और मंदिर पूरा करने का कार्य संवत 1030 में उनके उत्तराधिकारी राजा विग्रहराज द्वारा किया गया। इन मंदिर के अवशेषों पर मिला एक शिलालेख बताता है कि यहां कुल 84 मंदिर थे।

यहां स्थित सभी मंदिर खंडहर अवस्था में हैं जो पहले गौरवपूर्ण रहे होंगे। कहा जाता है कि 1671 ईस्वी में मुगल बादशाह औरंगजेब के निर्देशों पर सेनानायक खान जहान बहादुर द्वारा जानबूझ कर इस क्षेत्र के मंदिरों को नष्ट व ध्वस्त किया गया था।

हर्षनाथ मंदिर को कई गांव जागीर के तौर पर प्रदान किए गए थे। इस मंदिर का ऊंचा शिखर सुदूर स्थानों व मार्गों से देखा जा सकता है। हर्ष का मुख्य मंदिर भगवान शंकर की पंचमुखी प्रतिमा वाला है।

शिव वाहन नंदी की विशाल संगमरमरी प्रतिमा भी आकर्षक है। इनकी रचना शैली की सरलता, सकुमारता व सुडौलता तथा अंग विन्यास और मुखाकृति का सौष्ठव दर्शनीय है।

पत्थरों पर की गई कारीगरी बतलाती है कि उस समय के सिलावट कारीगर व शिल्पी अपनी कला को किस तरह से सजीव बनाने में कुशल थे। दीवार और छतों पर की गई चित्रकारी दर्शनीय है।

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Major temples of Harshnath mandir मंदिर के प्रमुख मंदिर
मुख्य शिव मंदिर की दक्षिण दिशा में भैरवनाथ का मंदिर है। मां दुर्गा की सोलह भुजा वाली प्रतिमा है, जिसकी प्रत्येक भुजा में विभिन्न शस्त्र हैं, एक हाथ में माला और दूसरे में पुस्तक है।
मंदिर के मध्य गुफा जैसा तलघर भी है, जिसमें काला भैरव तथा गोरा भैरव की दो प्रतिमाएं हैं। साल भर यहां पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। हर्ष पर्वत पर जाने के एक पैदल रास्ते (पगडंडी) का निर्माण वर्ष 1050 में तत्कालीन राजा सिंहराज द्वारा करवाया गया था। यह रास्ता करीब 2.25 कि.मी. लम्बा है।

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