Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Apr, 2022 09:11 AM
चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ही हिन्दु नववर्ष आरम्भ होने जा रहा है। हमारे पवित्र ग्रंथों में यह लिखा गया है कि इसी दिन सृष्टि रचियता ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। वैसे तो हिन्दू नववर्ष प्राचीन
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Hindu new year samvat 2079 prediction: चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ही हिन्दु नववर्ष आरम्भ होने जा रहा है। हमारे पवित्र ग्रंथों में यह लिखा गया है कि इसी दिन सृष्टि रचियता ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। वैसे तो हिन्दू नववर्ष प्राचीन काल से ही चला आ रहा है परन्तु राजा विक्रमादित्य के समय में भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा हिंदू पंचांग के आधार पर ही भारतीय कैलेंडर का निर्माण किया था। इस कैलेंडर की शुरूआत हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ही मानी जाती है। इसे ही नव संवत्सर कहा जाता है। संवत्सर पांच प्रकार की होती हैं- सौर, चंद्र, नक्षत्र, सावन और अधिमास। वहीं विक्रम संवत में इन सभी का समावेश है। इस संवत का आरम्भ 57 ईसा पूर्व हुआ था और इसको आरम्भ करने का श्रेय राजा विक्रमादित्य को जाता है इसीलिये उनके नाम पर ही इसे विक्रम संवत कहा जाता है।
नव संवत्सर 2079 इस बार आज यानी 2 अप्रैल से आरम्भ हो रहा है और इस संवत्सर का नाम होगा नल। इस दौरान ग्रहों की चाल और गति के अनुसार कई ग्रहों का बहुत ही दुर्लभ योग बन रहा है। संवत्सर की शुरूआत जिस भी दिन से होती है, उसी दिन को ही नव संवत्सर का राजा कहलाता है। इस नव संवत्सर के राजा शनि देव होंगे, जबकि मंत्री देवगुरू बृहस्पति होंगे। इन दोनों ग्रहों का एक साथ होने का प्रभाव यह माना जा रहा है कि यह ग्रह इस वर्ष कई देशों में आपसी मतभेद, महंगाई में बढ़ोतरी, अर्थव्यवस्था डांवाडोल, विश्व में उथल-पुथाल और आपसी संबंधों में कड़वाहट पैदा करेंगे।
संवत 2079 की शुरूआत में मंगल और राहु केतु अपनी उच्च राशि में ही रहेंगे। वहीं शनि अपनी स्वयं की राशि मकर में विराजमान रहेंगे। शनि और मंगल ग्रह का एक साथ होना, भाग्य को बलवान और धन में वृद्धि करने वाला योग माना गया है। जिनकी जातकों की जन्म कुंडली में शनि और मंगल शुभ स्थिति में बैठे हैं उन्हें इस योग का प्रबल लाभ होने की संभावनाएं अधिक हैं। मिथुन, कन्या, तुला और धनु राशि के स्वामी को भी शुभ परिणाम मिलने की संभावनाएं हैं। इस वर्ष रेवती नक्षत्र का खास कोंबिनेशन बनने के कारण व्यापार में मुनाफा होने का योग बनेगा, जिनका जन्म गंडमूल में हुआ है और खासकर रेवती नक्षत्र में।
शनिदेव का न्याय के देवता होने के कारण पूर्ण वर्ष शनिदेव उन जातकों के लिये कोर्ट-न्यायालयों में लाभदायक रहेंगे। जिनके कार्य न्यायालय में अटके हुए हैं। साथ में देवगुरू बृहस्पति मंत्री होने कारण शुभता का संचार करेंगे। गर्मी अधिक होगी। भारत देश के उत्तरी और दक्षिण भाग में फसल अच्छी होने की संभावनाएं हैं। जबकि पूर्व और पश्चिम भाग में स्थिति हर प्रकार से कमजोर होने के योग बनते हैं। इस वर्ष वर्षा सामान्य रहने के योग पाये जाते हैं।
Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientist
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)