Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Dec, 2025 12:45 PM

Hindu Nav Varsh 2026 Date: अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नया साल 1 जनवरी से शुरू होता है, लेकिन हिंदू नव वर्ष की गणना पूर्णतः भिन्न है। सनातन परंपरा में हिंदू नव वर्ष की शुरुआत चैत्र माह से मानी जाती है, न कि जनवरी से। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र पहला...
Hindu Nav Varsh 2026 Date: अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नया साल 1 जनवरी से शुरू होता है, लेकिन हिंदू नव वर्ष की गणना पूर्णतः भिन्न है। सनातन परंपरा में हिंदू नव वर्ष की शुरुआत चैत्र माह से मानी जाती है, न कि जनवरी से। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र पहला महीना होता है और फाल्गुन अंतिम। इसी कारण हिंदू नव वर्ष को प्रकृति, ऋतु और सृष्टि के चक्र से जोड़ा गया है।

हिंदू नव वर्ष 2026 कब है? (Hindu New Year 2026 Date)
हिंदू पंचांग और शास्त्रों के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नव वर्ष का आरंभ होता है। साल 2026 में हिंदू नव वर्ष 19 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन से विक्रम संवत 2083 की शुरुआत होगी। मान्यता है कि उज्जैन के सम्राट राजा विक्रमादित्य ने लगभग 2000 वर्ष पूर्व विक्रम संवत की स्थापना की थी। उन्होंने इस पंचांग को संपूर्ण भारतवर्ष में प्रचलित किया, जिससे धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन को एक नई दिशा मिली।

क्यों खास है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा?
ब्रह्मांड पुराण के अनुसार, सृष्टि की रचना इसी दिन ब्रह्मा जी ने की थी। इसलिए यह तिथि सृजन, नव आरंभ और शुभता का प्रतीक मानी जाती है। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि का भी शुभारंभ होता है, जिसमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की नौ दिन तक आराधना की जाती है।

हिंदू नव वर्ष को देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे:
उत्तर भारत: नव संवत्सर / विक्रम संवत
महाराष्ट्र: गुड़ी पड़वा
कर्नाटक व आंध्र प्रदेश: युगादि

हिंदू नव वर्ष के दिन क्या करें? (Rituals of Hindu New Year)
हिंदू नव वर्ष के दिन:
प्रातः स्नान कर स्वच्छ या नए वस्त्र धारण करें
घर में दीपक जलाकर भगवान गणेश और देवी-देवताओं की पूजा करें
पंचांग और वेद-शास्त्रों का पूजन करें
घर में सात्विक भोजन बनाएं और तामसिक चीजों से दूरी रखें
जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें
ऐसा करने से पूरे वर्ष सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

हिंदू नव वर्ष का आध्यात्मिक महत्व
हिंदू नव वर्ष केवल कैलेंडर बदलने का दिन नहीं, बल्कि जीवन में नए संकल्प, आत्मशुद्धि और धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ने का अवसर है। यह दिन प्रकृति के नवजीवन, वसंत ऋतु और सकारात्मक परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है।
