Edited By Prachi Sharma,Updated: 27 Jan, 2024 07:54 AM
यूनान के एक नगर में एक अनाथ लड़का रहता था। वह लकड़ी बेचकर गुजारा करता था। एक दिन डैमोक्रिटीज की नजर उस पर पड़ी। वह लकड़ी बेचने वालों के साथ
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Inspirational Context: यूनान के एक नगर में एक अनाथ लड़का रहता था। वह लकड़ी बेचकर गुजारा करता था। एक दिन डैमोक्रिटीज की नजर उस पर पड़ी। वह लकड़ी बेचने वालों के साथ खड़ा अपनी बारी का इंतजार कर रहा था। उसने लकड़ियों का अपना गट्ठर बेहद सलीके से बांध रखा था।
डैमोक्रिटीज ने उसके पास जाकर पूछा, "क्या तुम गट्ठर को खोलकर फिर से उसे इसी तरह से बांध सकते हो ?"
लड़के ने कहा, "क्यों नहीं ?" उसने गट्ठर खोलकर सारी लकड़ियों को बिखेर दिया। फिर जमीन पर दोबारा चादर बिछाई। फिर उसने चुन-चुन कर बड़ी लकड़ियों को नीचे रखा और उनके ऊपर छोटी लकड़ियों को जमाने लगा। उसका पूरा ध्यान गट्ठर बनाने पर लगा रहा और डैमोक्रिटीज उतने ही ध्यान से उसके काम करने के तरीके को देख रहा था।
अंततः गट्ठर बनने के बाद डैमोक्रिटीज ने उस लड़के से पूछा, "क्या तुम पढ़ना चाहते हो ?"
लड़के ने ऊपर देखते हुए कहा, "हां।" डैमोक्रिटीज तत्काल उसे अपने साथ लेकर चल पड़े। वही लड़का बाद में यूनान का विश्व प्रसिद्ध महान दार्शनिक -गणितज्ञ पायथागोरस बना।
सभी बच्चे सिर्फ अपनी प्रतिभा से पायथागोरस नहीं बन जाते, उनकी प्रतिभा को पहचानने और उन्हें सही रास्ते पर आगे बढ़ाने कुल्हाड़ी के लिए डैमोक्रिटीज जैसे गुरु की भी जरूरत होती है।