Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Apr, 2024 10:30 AM
पश्चिम जर्मनी के एक नगर में जाइगर नामक युवक नौकरी की तलाश में था। संयोगवश उसे एक मोटर कम्पनी में सफाई का
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Inspirational Context: पश्चिम जर्मनी के एक नगर में जाइगर नामक युवक नौकरी की तलाश में था। संयोगवश उसे एक मोटर कम्पनी में सफाई का काम मिल गया। परिश्रम के बल पर जल्द ही वह मालिक के चहेतों में शामिल हो गया। इससे बाकी कर्मचारी उससे जलने लगे और उन्होंने जालसाजी के एक झूठे इल्जाम में उसे फंसा दिया।
पकड़े जाने पर उसे जेल की सजा काटनी पड़ी। उसी दौरान जेल में उसका एक गिरोह तैयार हो गया था। यह गिरोह जेल से बाहर निकलने के बाद डकैतियां करने लगा। जल्द ही जाइगर दोबारा पकड़ लिया गया। उसे फिर जेल की सजा हो गई। दूसरी बार जब जेल पहुंचा तो उसे आत्मग्लानि और पश्चाताप होने लगा। ऐसे ही क्षणों में उसने एक साबुन के रैपर पर अपनी व्यथा एक कविता के रूप में लिख डाली।
उसकी कविता एक दिन जेल के पादरी के हाथ लग गई। पादरी को लगा कि इस व्यक्ति में सुधार के बहुत आसार हैं। उसने अधिकारियों से आग्रह करके जाइगर को लिखने का साजो-सामान जुटा दिया। यह देखकर जाइगर का मन लिखने-पढ़ने में रम गया और उसने एक उपन्यास लिखना शुरू किया।
जेल से बाहर आकर उसने मजदूरी शुरू कर दी और समय मिलने पर उपन्यास लिखना जारी रखा जो ‘द फोर्टिस’ के नाम से प्रकाशित हुआ। इस रचना ने उसे पूरे जर्मनी में मशहूर कर दिया। एक अपराधी से खुद को पूरी तरह से बदल कर एक प्रसिद्ध लेखक बन जाना मनुष्य की असीम सम्भावनाओं की कहानी है। हम सबमें ये सम्भावनाएं हैं, जरूरत है बस कोशिश करके उन्हें साकार करने की।
यदि किसी भी कार्य को हम अपना लक्ष्य बनाकर लगातार प्रयत्न करते रहें तो हमें सफलता जरूर मिलेगी।