बाल गंगाधर तिलक के जीवन का ये प्रेरक प्रसंग रोजगार की तलाश कर रहे युवाओं को देगा नया मुकाम

Edited By Updated: 01 Oct, 2023 09:42 AM

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एक बार बाल गंगाधर तिलक अपने कुछ मित्रों से बातचीत कर रहे थे। उन दिनों उन्होंने वकालत पास की थी। एक मित्र बोला, ‘‘तिलक, वकालत तो तुमने पास कर ली है किन्तु

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Inspirational Story: एक बार बाल गंगाधर तिलक अपने कुछ मित्रों से बातचीत कर रहे थे। उन दिनों उन्होंने वकालत पास की थी। एक मित्र बोला, ‘‘तिलक, वकालत तो तुमने पास कर ली है किन्तु आगे के लिए क्या सोचा है ? क्या अब सरकारी नौकरी करोगे या किसी कोर्ट- कचहरी में वकालत ?’’

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मित्र की बात सुनकर तिलक बोले, ‘‘तुमने पूछ ही लिया है तो सुन लो। मुझे ऐसे पैसे की जरूरत नहीं जो मुझे सरकार का गुलाम बनाकर रखे। मैं ऐसी वकालत नहीं करना चाहता जहां दिन में कई बार झूठ बोलना पड़े।’’

बात आई-गई हो गई। सभी अपने-अपने कामों में लग गए। एक दिन उनकी मित्र मंडली को पता चला कि बाल गंगाधर तिलक ने एक स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया है। तनख्वाह है तीस रुपए महीना। यह सुनकर उस मित्र को सबसे ज्यादा आश्चर्य हुआ जिसने कुछ समय पूर्व उनका मन जानना चाहा था।

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वह सीधे तिलक के पास जा पहुंचा और बोला, ‘‘यह तुमने क्या किया तिलक? वकालत की डिग्री लेकर अध्यापक क्यों बने ? क्या तुम शिक्षकों की आर्थिक स्थिति के बारे में नहीं जानते ? जब तुम अंतिम सांस लोगे तब तुम्हारे दाह संस्कार के लिए भी घर में कुछ नहीं होगा।’’

मित्र की बात सुनकर तिलक मुस्कुराते हुए बोले, ‘‘मैंने जो पेशा चुना है वह बहुत पवित्र है, ईमानदारी वाला है। रही अंतिम समय की बात तो मेरे दाह संस्कार का प्रबंध नगर पालिका कर देगी। मैं इसकी चिंता क्यों करूं ?’’

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तिलक की बात सुनकर मित्र हैरान रह गया। उसने आज तक संतुष्टि के ऐसे भाव किसी व्यक्ति में नहीं देखे। वह मन ही मन तिलक के प्रति श्रद्धा से अभिभूत हो गया।

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