Edited By Prachi Sharma,Updated: 25 Nov, 2023 03:23 PM
बात उन दिनों की है जब बापू दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह कर रहे थे। उन्हें अचानक किसी काम से लंदन जाना पड़ा। उस समय अनेक भारतीय युवक लंदन में पढ़ते
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Inspirational Story: बात उन दिनों की है जब बापू दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह कर रहे थे। उन्हें अचानक किसी काम से लंदन जाना पड़ा। उस समय अनेक भारतीय युवक लंदन में पढ़ते थे। उन नवयुवकों ने एक सभा करने का विचार किया। उन्होंने सभा की सारी तैयारियां कर ली थीं। उन्होंने व्यवस्था कुछ इस तरह की थी। पहले भोज फिर भाषण। बाकी सब तो था, मगर उन्हें सभा के लिए कोई सभापति नहीं मिल रहा था। जब उन्हें पता चला कि गांधी जी भी लंदन में ही हैं तो उन्होंने गांधी जी को किसी तरह तैयार कर लिया। गांधी जी इस शर्त पर तैयार हुए कि भोजन में मांस नहीं होगा।
युवकों ने उनकी बात मान ली। उसके बाद सभी अपने-अपने कामों में व्यस्त हो गए। सभी ने एक-एक काम संभाल लिया। उन्हीं के बीच में एक दुबला-पतला व्यक्ति था, जिसने थाली मांजने और फर्श साफ करने का काम संभाला था।
कई घंटे बीत गए मगर वह अपने काम में मस्त था। सुबह से शाम हो गई। आखिर उस सभा के उपप्रधान वहां आए। उनकी नजर उस दुबले-पतले युवक पर पड़ी। उस युवक को देखकर वह हैरान हो गए। वह उस युवक के पास गए बोले गांधी जी।
गांधी शब्द के उच्चारण मात्र से मानो वह हॉल हिल उठा। उस हॉल में मौजूद सारे युवक सकते में आ गए। सभी ने गांधी जी से हाथ जोड़कर निवेदन किया कि वह काम न करें, मगर गांधी जी उसी तरह काम में लगे रहे। उन्होंने खाना परोसा और सभी के साथ भोजन किया। उसके बाद सभापति बनकर भाषण भी दिया।
इस प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हम चाहे जितने भी बड़े बन जाएं मगर हमें अपनी सादगी नहीं छोड़नी चाहिए। हमारे अंदर अहंकार नहीं आना चाहिए।