Edited By Prachi Sharma,Updated: 02 Mar, 2024 10:43 AM
बात उस समय की है जब अकबर भारत का सम्राट था। उसकी सभा में एक दार्शनिक थे, उनका नाम था ‘अबू अली
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Inspirational Story: बात उस समय की है जब अकबर भारत का सम्राट था। उसकी सभा में एक दार्शनिक थे, उनका नाम था ‘अबू अली।’ लोभ-लालच उन्हें ताउम्र छू भी नहीं सका।
एक बार सहारा रेगिस्तान का एक अमीर उनके पास आया और बोला, “मैं आपके चरणों में बैठकर अध्ययन करना चाहता हूं।”
अबू ने कहा, “मैं तुम्हें पढ़ाने के लिए तैयार हूं, लेकिन सौ अशर्फी हर माह लूंगा।”
अमीर व्यक्ति उन्हें त्याग और तप की मूर्ति समझता था लेकिन अशर्फी मांगने पर उसे अच्छा नहीं लगा। लेकिन उसने अशर्फी देने की बात को स्वीकार कर लिया।
वह ज्ञान प्राप्त करने लगा। जब शिक्षा पूरी हो गई तो उसने घर जाने की आज्ञा मांगी। तब अबू अली ने अलमारी से सौ अशर्फी निकालीं और उसे वापस कर दीं। अमीर हैरान हो गया।
उसने कहा, “जब आपको मेहनताना ही नहीं लेना था तो आपने यह शर्त क्यों रखी थी कि सौ अशर्फी मैं आपको हर माह दूं।”
अबू अली ने कहा, “मैं यह परखना चाहता था कि तुम ज्ञान की कीमत देने की इच्छा रखते हो या नहीं। जो कीमत नहीं दे सकता है उसे किसी से कुछ पाने का हक नहीं है।”
अमीर व्यक्ति अबू की विरक्ति देख भाव-विभोर हो गया।