Kalki Dwadashi 2025: कल्कि द्वादशी आज, इस शक्तिशाली स्तोत्र के पाठ से कट जाएगा हर संकट

Edited By Updated: 04 Sep, 2025 03:00 AM

kalki dwadashi 2025

Kalki Dwadashi 2025: हर साल हिंदू धर्म में कई महत्वपूर्ण तिथियां और पर्व आते हैं, जिनमें से एक विशेष और महत्वपूर्ण पर्व है कल्कि द्वादशी। यह दिन भगवान कल्कि की आराधना के लिए समर्पित होता है, जो विष्णु भगवान के दसवें अवतार के रूप में माने जाते हैं।

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Kalki Dwadashi 2025: हर साल हिंदू धर्म में कई महत्वपूर्ण तिथियां और पर्व आते हैं, जिनमें से एक विशेष और महत्वपूर्ण पर्व है कल्कि द्वादशी। यह दिन भगवान कल्कि की आराधना के लिए समर्पित होता है, जो विष्णु भगवान के दसवें अवतार के रूप में माने जाते हैं। कल्कि भगवान का आगमन धर्म और अधर्म के बीच संघर्ष को समाप्त करने और सत्य की स्थापना करने के लिए होता है। कल्कि द्वादशी 4 सितम्बर 2025 आज मनाई जा रही है और इस दिन का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति कल्कि स्तोत्र का पाठ करता है, उसके जीवन की हर परेशानी और संकट दूर हो जाते हैं।

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Kalki Stotram कल्कि स्तोत्रम्
श्रीगणेशाय नमः ।
सुशान्तोवाच ।

जय हरेऽमराधीशसेवितं तव पदांबुजं भूरिभूषणम् ।
कुरु ममाग्रतः साधुसत्कृतं त्यज महामते मोहमात्मनः ॥ १॥

तव वपुर्जगद्रूपसम्पदा विरचितं सतां मानसे स्थितम् ।
रतिपतेर्मनो मोहदायकं कुरु विचेष्टितं कामलंपटम् ॥ २॥

तव यशोजगच्छोकनाशकं मृदुकथामृतं प्रीतिदायकम् ।
स्मितसुधोक्षितं चन्द्रवन्मुखं तव करोत्यलं लोकमङ्गलम् ॥ ३॥

मम पतिस्त्वयं सर्वदुर्जयो यदि तवाप्रियं कर्मणाऽऽचरेत् ।
जहि तदात्मनः शत्रुमुद्यतं कुरु कृपां न चेदीदृगीश्वरः ॥ ४॥

महदहंयुतं पञ्चमात्रया प्रकृतिजायया निर्मितं वपुः ।
तव निरीक्षणाल्लीलया जगत्स्थितिलयोदयं ब्रह्मकल्पितम् ॥ ५॥

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भूवियन्मरुद्वारितेजसां राशिभिः शरीरेन्द्रियाश्रितैः ।
त्रिगुणया स्वया मायया विभो कुरु कृपां भवत्सेवनार्थिनाम् ॥ ६॥

तव गुणालयं नाम पावनं कलिमलापहं कीर्तयन्ति ये ।
भवभयक्षयं तापतापिता मुहुरहो जनाः संसरन्ति नो ॥ ७॥

तव जनुः सतां मानवर्धनं जिनकुलक्षयं देवपालकम् ।
कृतयुगार्पकं धर्मपूरकं कलिकुलान्तकं शं तनोतु मे ॥ ८॥

मम गृहं पतिपुत्रनप्तृकं गजरथैर्ध्वजैश्चामरैर्धनैः ।
मणिवरासनं सत्कृतिं विना तव पदाब्जयोः शोभयन्ति किम् ॥ ९॥

तव जगद्वपुः सुन्दरस्मितं मुखमनिन्दितं सुन्दरत्विषम् ।
यदि न मे प्रियं वल्गुचेष्टितं परिकरोत्यहो मृत्युरस्त्विह ॥ १०॥

हयवर भयहर करहरशरणखरतरवरशर दशबलदमन ।
जय हतपरभरभववरनाशन शशधर शतसमरसभरमदन ॥ ११॥

इति श्रीकल्किपुराणे सुशान्ताकृतं कल्किस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।

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कल्कि स्तोत्र पाठ करने के फायदे-


जीवन में आने वाली हर प्रकार की समस्या, चाहे वह आर्थिक हो, स्वास्थ्य संबंधी हो या पारिवारिक, इस स्तोत्र के पाठ से दूर हो जाती है।

इसका पाठ करके मानसिक तनाव और चिंता से राहत मिलती है, जिससे व्यक्ति का मन प्रसन्न और शांत रहता है।

 घर और कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिससे वातावरण शुभ होता है।

कार्यों में सफलता और व्यापार-धंधे में वृद्धि होती है।

इसका पाठ करने से व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है और वह भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति से परिपूर्ण होता है।

 

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