Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Apr, 2022 08:23 AM
कालरात्रि नव दुर्गा का सातवां रूप हैं। इनके ध्यान से साधक का मन ''सहस्रार'' चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। देवी का रूप अत्यंत ही काला एवं भयानक है।
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Chaitra Navratri 7th Day: कालरात्रि नव दुर्गा का सातवां रूप हैं। इनके ध्यान से साधक का मन 'सहस्रार' चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। देवी का रूप अत्यंत ही काला एवं भयानक है। देवी रौद्री के नाम से भी जानी जाती है। इनके एक हाथ में खड्ग, एक हाथ में कांटा, एक हाथ अभय मुद्रा में और दूसरे हाथ में खपर होता है। मां कालरात्रि ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं। इनके उपासकों को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय से मुक्ति मिल जाती है। देवी के रूप को शुभंकरी भी कहा जाता है। इनके स्वरूप का ध्यान करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं और शुभ परिणाम मिलते हैं। देवी का वाहन गधा है एवं इनका अस्त्र अस्त्र तलवार है। देवी का पूजन करते समय इस मंत्र का उच्चारण करने से साधक को शीघ्र सफलता मिलती है।
Navratri Maa Kalratri Mantra: मंत्र- या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
देवी का पूजन दक्षिण दिशा की और बैठकर करें। इन्हें पूजा में तेल से बना हलवा चढ़ाएं।
मां कालरात्रि को मीठे रोट का भोग लगाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है, जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
तिल से बने हुए मोदक देवी को अर्पण करें और अपनी इच्छा व्यक्त करें जल्द ही मनोकामना पूर्ण होगी।
मां कालरात्रि को नीले व काले रंग की चूड़िया अर्पण करने से दांपत्य जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
देवी कालरात्रि का पूजन रात्रि के दूसरे पहर करने में अति फलदाई होता है। इस समय देवी को लाल अनार का भोग लगाने से कार्य सिद्धि की जा सकती है।
नीलम
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