Kundli Tv- कौन से दिन कौन सा काम करना चाहिए?

Edited By Jyoti,Updated: 02 Dec, 2018 05:04 PM

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तिथि का आधा भाग करण कहलाता है। चंद्रमा जब 6 अंश पूर्ण कर लेता है तब एक करण पूर्ण होता है। एक तिथि में दो करण होते हैं-एक पूर्वाद्र्ध में तथा एक उत्तराद्र्ध में। कुल 11 करण होते हैं-

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तिथि का आधा भाग करण कहलाता है। चंद्रमा जब 6 अंश पूर्ण कर लेता है तब एक करण पूर्ण होता है। एक तिथि में दो करण होते हैं-एक पूर्वाद्र्ध में तथा एक उत्तराद्र्ध में। कुल 11 करण होते हैं-बव, बालव, कौलव, तैत्तिल, गमर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न।

कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (14) के उत्तराद्र्ध में शकुनि, अमावस्या के पूर्वार्ध में चतुष्पाद, अमावस्या के उत्तराद्र्ध में नाग और शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के पूर्वार्ध में किस्तुघ्न करण होता है। विष्टि करण को भद्रा कहते हैं। भद्रा में शुभ कार्य वॢजत माने गए हैं। किस्तुघ्न, चतुष्पद, शकुनि तथा नाग ये चार करण हर माह में आते हैं और इन्हें स्थिर करण कहा जाता है।


अन्य सात करण चर करण कहलाते हैं। ये एक स्थिर गति में एक-दूसरे के पीछे आते हैं। इनके नाम हैं : बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज और विष्टि जिसे भद्रा भी कहा जाता है। 

उक्त करणों में विष्टि करण अथवा भद्रा को सबसे अधिक अशुभ माना जाता है। किसी भी नवीन कार्य का आरंभ इस करण में नहीं किया जा सकता। कुछ धार्मिक कार्यों में भी भद्रा का त्याग किया जाता है। सुप्त और बैठी हुई स्थितियां उत्तम नहीं होतीं। ऊध्र्व अवस्था उत्तम होती है।
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