Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Oct, 2018 12:40 PM
पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की कामना वाला करवाचौथ का व्रत इस बार नई-नवेली दुल्हनें नहीं रख पाएंगी। ज्योतिष विद्वानों का कहना है की शुक्र अस्त चल रहा है। जो अशुभता प्रदान करता है। शुक्रास्त के दौरान
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पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की कामना वाला करवाचौथ का व्रत इस बार नई-नवेली दुल्हनें नहीं रख पाएंगी। ज्योतिष विद्वानों का कहना है की शुक्र अस्त चल रहा है। जो अशुभता प्रदान करता है। शुक्रास्त के दौरान किसी भी तरह का शुभ काम नहीं करना चाहिए। जो महिलाएं पहली बार करवाचौथ का व्रत रखने वाली थी, वह अब तीसरे साल ही व्रत रख सकेंगी। चंद्रमा का उदय शाम लगभग 7:46 बजे होगा लेकिन चतुर्थी तिथि कुछ देर बाद ही लगेगी। आज यानि 27 अक्टूबर रात 8 बजे के बाद चन्द्रमा को अर्घ्य देना श्रेयस्कर रहेगा। 27 की शाम चतुर्थी 7:59 बजे से लगेगी।
कुछ विद्वानों का मानना है की 28 अक्टूबर को करवाचौथ किया जा सकता है लेकिन उस दिन चतुर्थी तिथि के चंद्रमा का दर्शन नहीं होगा। ऐसे में शनिवार को करवाचौथ का व्रत पूजन करना ही शुभ रहेगा। उगते चंद्रमा को अर्घ्य देना मंगलसूचक होता है। सुहाग की मंगलकामना के लिए चंद्र को अर्घ्य देकर प्रथम पूज्य गणेश जी के साथ गौरी मईया की पूजा करें। फिर चौथ माई के व्रत का पारण करना चाहिए। अपने घर के सभी बड़ों का चरण स्पर्श करें। फिर पति के पैरों को छू कर उनका आशीर्वाद लें। पति अपने हाथों से पत्नी को प्रसाद खिला कर भोजन करवाए।
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