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2019 का पहला गुरु पुष्य योग, जानिए क्यों माना जाता है इसे खास ?

Edited By Jyoti,Updated: 06 Jun, 2019 11:48 AM

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ज्योतिष शास्त्र में जितना महत्व ग्रहों को दिया जाता है उतना ही महत्व नक्षत्र को भी प्रदान है। वैदिक ज्योतिषी के अनुसार नक्षत्र पंचांग का भी एक महत्वपूर्ण अंग माना गया है। बता दें कि आकाश में तारा-समूह को नक्षत्र कहते हैं।

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ज्योतिष शास्त्र में जितना महत्व ग्रहों को दिया जाता है उतना ही महत्व नक्षत्र को भी प्रदान है। वैदिक ज्योतिषी के अनुसार नक्षत्र पंचांग का भी एक महत्वपूर्ण अंग माना गया है। बता दें कि आकाश में तारा-समूह को नक्षत्र कहते हैं। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्र को चंद्र  महल भी कहा जाता है। कुछ लोग ज्योतिषीय विश्लेषण और सटीक भविष्यवाणियों के लिए नक्षत्र की अवधारणा का उपयोग करते हैं। ग्रंथों और शास्त्रों में नक्षत्रों की कुल संख्या 27 बताई गई है। ऋग्वेद में एक जगह सूर्य को भी एक नक्षत्र ही कहा गया है। आज हम आपको ज्योतिष शास्त्र में दिए गए पुष्य नक्षत्र के बारे में बताने जा रहे हैं-

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कुछ महान ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि 6 जून यानि आज गुरुवार के दिन एक साथ कई शुभ संयोग बने हुए हैं, जो दीपावली की तरह ही बेहद शुभ फलदायी हैं। कहा जा रहा है  इस शुभ संयोग में जाातक कोई भी नया काम शुरू कर सकते हैं या धन वृद्धि के लिए निवेश और खरीदारी कर सकते हैं। इस शुभ स्थिति की वजह है गुरुवार के दिन शनि के नक्षत्र पुष्य का उपस्थित होना। माना जाता है कि गुरुवार के दिन जब पुष्य नक्षत्र का संयोग बनता है तो गुरु पुष्य योग कहलाता है जिसे दुर्लभ संयोग कहा गया है। 

बताया जा रहा है कि इस साल कुल तीन गुरु पुष्य योग बनेंगे जिनमें पहला संयोग 6 जून को बना है। दूसरा गुरु पुष्य योग 4 जुलाई को और  अंतिम गुरु पुष्य योग 1 अगस्त को बनेगा। 

साल के इस पहले गुरु पुष्य योग की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे इस दिन अमृत सिद्धि योग, रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और वृद्धि नामक 4 अन्य शुभ योगों का भी साथ मिल रहा है जिससे इसका महत्व कई गुणा बढ़ गया है। इसके अलावा एक कारण है कि ये बेहद शुभ गुरु शुभ और समृद्धि के स्वामी ग्रह माने जाते हैं जबकि शनि महाराज सभी ग्रहों में धीमी गति से चलने वाले और धर्म के कारक ग्रह हैं। मगर गुरु के साथ शनि सम भाव रखते हैं। इसीलिए जब गुरुवार के दिन जब शनि का नक्षत्र पुष्य उपस्थित होता है तो यहअधिक शुभ और फलदायी हो जाता है। 

मान्यताओं के अनुसार इसदिन किया गया हर काम लंबे समय तक शुभ और लाभ देना वाला हो जाता है। इसके साथ ही गुरु पुष्य योग में सोना खरीदना भी बहुत लाभकारी होता है। कहा जाता है शुभ स्वर्ण का संबंध समृद्धि से है जिसका कारक ग्रह गुरु को माना गया है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुष्य नक्षत्र स्थायित्व प्रदान करता है इसलिए स्वर्ण की खरीदारी के लिए गुरु पुष्य योग बहुत ही शुभ फलदायी होता है। इसके अलावा इस शुभ संयोग में भूमि, भवन, वाहन और निवेश करना भी उत्तम होता है।

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