ये हैं प्राचीन काल के सबसे अद्भुत प्राणी, हर काल में निभाया अहम किरदार

Edited By Jyoti,Updated: 09 Dec, 2019 06:23 PM

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हिंदू धर्म के धार्मिक ग्रंथों में कईं ऐसे पात्रों का वर्णन मिलता है जिन्होंने पौराणिक काल में किसी न किसी रूप में अहम किरदार निभाया है।

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हिंदू धर्म के धार्मिक ग्रंथों में कईं ऐसे पात्रों का वर्णन मिलता है जिन्होंने पौराणिक काल में किसी न किसी रूप में अहम किरदार निभाया है। लेकिन आज आपको जिन पात्रों के बारे में बताने वाले हैं वो मानव रूपी नहीं बल्कि जीव-जंतु हैं। जी हां, आपको जानकार शायद थोड़ी हैरानी होगी परंतु पौराणिक काल में ऐसे कई जीव-जंतु थे जिनका सिर मनुष्यों जैसा था परंतु बाकी शरीर का हिस्सा किसी न किसी पक्षी के समान था। तो चलिए शुरू करते हैं धार्मिक ग्रंथों में इन पात्रों के बारे में दी खास बातों को जानने का सिलसिला, जिसे जानने के बाद आप भी अच्छे से समझ जाएंगे कि हिंदू धर्म में पशु-पक्षी को महत्व के साथ-साथ क्यों पूजनीय माना जाता है। 

अदिति
मान्यताओं की मानें तो प्राचीन भारत में अदिति की पूजा का प्रचलन था। अदिति को देवताओं की माता कहा गया है। इसे एक गाय के रूप में दर्शाया जाता है जो सबकी देखभाल करती हैं, परंतु कहा जाता है ये केवल ऐसा तभी तक करती हैं जब तक इन्हें उचित सम्मान मिलता है। इसके विपरीत अगर कोई इसे चोट पहुंचाने की कोशिश करता है या चोट पहुंचाता है तो ये उसके साथ-साथ संपूर्ण धरती को भी नष्ट करने की भी क्षमता रखती है। बता दें अदिति का रिग वेद में 80 बार वर्णन किया गया है।
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चकोर
उत्तर भारत में अधिक पाया जाने वाला चकोर नामक पक्षी बहुत प्रसिद्ध है। माना जाता है कि यह सारी रात चन्द्रमा की ओर ताकता रहता है। यह तीतर से स्वभाव और रहन सहन में बहुत मिलता जुलता है। पालतू हो जाने पर तीतर की भांति ही ये अपने मालिक के पीछे-पीछे चलता है।

मकर
बताया जाता है यह एक जल जीव है जिसका शरीर मछली जैसा, हाथी जैसी सूंड, शेर के पैरों के समान पैर, बंदर जैसी आंखे, सूअर जैसे कान अथवा पीछे से मोर के आकर के समान प्रतीत होता है। यह मां गंगा अथवा वरुण देव की सवारी है।

उच्चैःश्रवा
उच्चैःश्रवा सात सिर वाला सफ़ेद रंग का घोड़ा है जो इंद्र देव का वाहन है। मान्यताओं के अनुसार इसे वानर बाली ने प्राप्त किया था जिसकी आज के समय में कोई प्रजाति धरती पर नहीं बची। कहा जाता है इसका यानि उच्चै:श्रवा का पोषण अमृत से होता है। यह अश्वों का राजा माना जाता है। भागवत गीता, रामायण, विष्णु पुराण आदि ग्रंथों में इसका उल्लेख पढ़ने-सुनने को मिलता है।
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अहि
पौराणिक कथाओं की मानें तो अहि एक असुर था जो एक सर्प या अझदहा (ड्रैगन) भी था इंद्रा देव ने इसका वध किया क्योंकि इसने संसार से पानी खत्म कर दिया था। अतः इसका वध कर इंद्र देव ने पृथ्वी पर फिर से पानी छोड़ा था।

नवगुणजरा
नवगुणजरा अपने नाम के अनुसार नौ प्राणियों को मिला कर बना है। महाभारत काल के समय की एक प्रचलित कथा के अनुसार श्री कृष्ण ने नवगुणजरा नामक जीव का अवतार अर्जुन को भ्रमित करने के लिए लिया था। जिसे जंगल में देख अर्जुन चकित हो गए थे और उस पर निशाना साध लिया था। जिसके बाद अर्जुन रुके और इस प्राणी का निरिक्षण करने लगे। बाद में उन्हें ज्ञात हुआ कि असल में ये साक्षात भगवान श्री कृष्ण का स्वरूप, जिसके बाद उन्होंने इनका आशीर्वाद प्राप्त किया था।  

शराभा
हमेशा शांत स्वरूप में दिखने वाले शिव जी का एक विब्हस स्वरूप भी है जिसका नाम शराभा है। माना जाता है कि हिर्न्यकश्यपू का वध करने के बाद भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह बहुत क्रोध में आ गए थे जिन्हें शांत करना असंभव हो रहा था। तब देवता घबराकर भगवान शिव की शरण में गए तो भगवान शिव ने एक विब्हस रूप धारण किया और उन्हें अपने पंखों से घायल कर काफ़ी दूर तक खींच कर ले गए। जिसके बाद भगवान विष्णु शांत हुए थे और अपने रूप में वापस आए।
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तो ये थे हिंदू धर्म के कुछ ऐसे जीव पात्र जिनकी पौराणिक काल में अहम भूमिका रही।

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