Edited By Prachi Sharma,Updated: 13 Aug, 2025 07:01 AM

Mahabharat Katha: हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक महाभारत सिर्फ एक युद्ध की कहानी नहीं है बल्कि इसमें छिपी कई कहानियां और पात्र आज भी लोगों को आकर्षित करते हैं। कौरवों और पांडवों के बीच का युद्ध जितना बड़ा और ऐतिहासिक था, उतनी ही गहराई से...
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Mahabharat Katha: हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक महाभारत सिर्फ एक युद्ध की कहानी नहीं है बल्कि इसमें छिपी कई कहानियां और पात्र आज भी लोगों को आकर्षित करते हैं। कौरवों और पांडवों के बीच का युद्ध जितना बड़ा और ऐतिहासिक था, उतनी ही गहराई से जुड़ी हैं इन पात्रों की कहानियां। उन्हीं में से एक है गांधारी की। गांधारी को उनके सौ पुत्रों की मां कहा जाता है, जिनमें सबसे बड़ा दुर्योधन था। पर क्या आपने कभी सोचा है कि एक ही मां के 100 बेटे कैसे हो सकते हैं ? ये कोई सामान्य घटना नहीं थी। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से-
इस तरह हुआ गांधारी के 100 पुत्रों का जन्म
गांधारी का विवाह हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र से हुआ था। धृतराष्ट्र जन्म से ही नेत्रहीन थे, इसलिए शादी के बाद गांधारी ने भी अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी, ताकि वे अपने पति के साथ एक समान आभास रख सकें। गांधारी के सौ पुत्र होना किसी दिव्य चमत्कार की वजह नहीं था, बल्कि उस समय के प्राचीन ज्ञान और विज्ञान का परिणाम था। कथा के अनुसार, एक बार हस्तिनापुर में ऋषि वेद व्यास आए थे। गांधारी ने उनकी अच्छी सेवा की, जिससे वे ऋषि प्रसन्न हुए। उन्होंने गांधारी को एक वरदान दिया कि वह सौ पुत्रों की मां बनेगी। इसी वरदान के कारण गांधारी के सौ पुत्र जन्मे, जो बाद में कौरव कहलाए।

ऋषि वेद व्यास के वरदान के बाद गांधारी गर्भवती हुईं लेकिन दो साल तक उनका कोई संतान नहीं हुआ। इस लंबे इंतजार और तनाव के बाद एक दिन क्रोध में आकर उन्होंने अपने पेट पर ज़ोर से मुक्का मारा। इसके कारण उनका गर्भ गिर गया और एक मांस का टुकड़ा बाहर निकल आया। जब यह बात ऋषि वेद व्यास को पता चली, तो उन्होंने गांधारी से कहा कि ऐसा करना सही नहीं था। उन्होंने उस मांस के टुकड़े पर पवित्र जल छिड़का, जिससे वह टुकड़ा 101 हिस्सों में बंट गया। फिर ऋषि ने गांधारी से कहा कि वह 101 मटके तैयार कराए और हर मटके में घी भर दे। हर मटके में मांस के एक-एक हिस्से को डालना था।
गांधारी ने वैसा ही किया और उन मटकों को दो वर्षों तक ढककर रखा। दो साल बाद जब उन्होंने मटके खोले, तो उनमें से सौ पुत्र और एक पुत्री ने जन्म लिया। ये पुत्र आगे चलकर कौरव कहलाए।
